मथुरा: सनातन धर्म में दीपावली का पर्व पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. माना जाता है कि अयोध्या में भगवान राम के आगमन की खुशी में दीप जलाकर इस पर्व की शुरुआत हुई थी. मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में भी दीपावली के विशेष अवसर पर भगवान बांके बिहारी ने सोने-चांदी के सिंघासन पर विराजमान होकर भक्तों को विशेष दर्शन दिए.
बांके बिहारी के स्वर्ण-रजत सिंघासन का इतिहास
बांके बिहारी का यह अनोखा सिंघासन 1947 में पहली बार भक्तों के सामने प्रस्तुत किया गया था. इस 12 फीट ऊंचे और 25 फीट चौड़े सिंघासन में लगभग 2000 तोले सोना और 1 लाख तोले चांदी का उपयोग हुआ है. यह दिव्य सिंहासन ठाकुर बांके बिहारी को 15 अगस्त 1947 को अर्पित किया गया था. खास अवसरों और आयोजनों पर भगवान को इस भव्य सिंहासन पर विराजमान किया जाता है. दीपावली के अवसर पर भी भगवान बांके बिहारी ने विशेष पोशाक धारण कर अपने भक्तों को सिंघासन से दिव्य दर्शन दिए.
भक्तों को मिलता है सुखद आनंद
मंदिर के प्रबंधक, मुनीश शर्मा ने बताया कि विशेष आयोजनों के दौरान भगवान के लिए यह सिंहासन निकाला जाता है, और उन्हें विशेष पोशाक धारण कराई जाती है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर में पुलिस और प्रशासन का भी उचित प्रबंध किया गया है. श्रद्धालु यहां आकर बांके बिहारी के दर्शन से सुखद अनुभूति प्राप्त करते हैं और भक्ति में लीन हो जाते हैं. दीपावली के इस पावन अवसर पर भगवान बांके बिहारी के दिव्य दर्शन के लिए उमड़ी भीड़, उनके भव्य श्रृंगार और अलौकिक आभा में मग्न होती है.
FIRST PUBLISHED : October 31, 2024, 08:50 IST