Harsiddhi Mata Temple: आगर मालवा जिले के ग्राम बीजानगरी में स्थित मां हरसिद्धि मंदिर आस्था का अनोखा धाम है. यहां करीब दो हजार सालों से अखंड ज्योत जल रही है, जो हवा चलने पर भी कभी बुझती नहीं है. नवरात्रि के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है और हर कोई इस ज्योत के साथ-साथ माता के चमत्कार को नमन करने पहुंचता है.
इस मंदिर का इतिहास राजा विक्रमादित्य के भानजे राजा विजय सिंह से जुड़ा है. मान्यता है कि राजा हर रोज स्नान करने के बाद घोड़े पर सवार होकर उज्जैन की हरसिद्धि माता के दर्शन के लिए जाते थे. एक दिन मां हरसिद्धि ने उन्हें सपने में दर्शन देकर आदेश दिया कि बीजानगरी में ही मंदिर बनवाओ. राजा विजय सिंह ने मां के आदेश अनुसार, मंदिर का निर्माण तो करवाया, लेकिन उन्होंने इसका द्वार पूर्व दिशा में रखा है. इसके बाद माता ने फिर दर्शन देकर कहा कि द्वार अब पश्चिम दिशा में हो गया है. जब राजा ने आकर देखा तो सचमुच मंदिर का द्वार पश्चिममुखी हो चुका था।
कहां से शुरू होती है चमत्कारिक गाथा?
आज भी भक्त मानते हैं कि मां अपने अद्भुत स्वरूप के साथ इस मंदिर में विराजमान हैं. यहां की मूर्ति दिनभर तीन अलग-अलग रूपों में दिखाई देती है, सुबह बचपन का, दोपहर में युवावस्था का और शाम को वृद्धावस्था का रूप दिखाई देता है.
यहीं पर जली हुई अखंड ज्योत भक्तों की आस्था का सबसे बड़ा प्रमाण भी माना जाता है. ग्रामीणों के मुताबिक, यह ज्योत लगभग दो हजार साल से लगातार जल रही है. आम दिनों में इसे जलाए रखने में डेढ़ क्विंटल तेल लगता है, जबकि नवरात्रि पर यह खपत बढ़कर 10 क्विंटल तक पहुंच जाती है.
मंदिर से जुड़ी परंपराए भी बेहद खास
भक्त जब भी कोई मन्नत मांगते हैं, तो वे मंदिर प्रांगण में गोबर से बनी सातियों को उल्टा रखते हैं. मन्नत पूरी होने पर उसी स्थान पर आकर वे उन सातियों को सीधा करते हैं. इसके अलावा यहां घटस्थापना के बाद से अष्टमी तक नारियल नहीं फोड़ा जाता है.
नवरात्रि के दिनों में यहां वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है. घंटियों की गूंज, ढोल-नगाड़ों की थाप और भक्तों की जयकारों से पूरा परिसर गूंजता रहता है. दूर-दराज़ से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और मां के दर्शन कर स्वयं को धन्य मानते हैं. नवरात्रि पर यह मंदिर आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बन जाता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचकर मां हरसिद्धि के दर्शन करते हैं और अखंड ज्योत के सामने अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करते हैं.
ऐतिहासिक धरोहर का प्रमाण करते हैं
तिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए भी यह मंदिर उतना ही महत्वपूर्ण है. गांव में कई बार कुओं और नींव की खुदाई के दौरान प्राचीन मूर्तियां और शिलालेख निकल चुके हैं, जो यहां की ऐतिहासिक धरोहर का प्रमाण करते हैं.
हालांकि, यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है, लेकिन इसके रखरखाव की स्थिति संतोषजनक नहीं है. ग्रामीणों के मुताबिक, अनुमति संबंधी दिक्कतों की वजह से यहां विकास कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं. इसके बावजूद मंदिर की ख्याति दिन-ब-दिन दूर-दूर तक फैल रही है. बीजानगरी का हरसिद्धि मंदिर सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति का भी जीता-जागता प्रमाण है. यहां जल रही अखंड ज्योत यह संदेश देती है कि भक्ति और विश्वास कभी खत्म नहीं होते हैं.