Monday, February 17, 2025
23.5 C
Surat

25 को मनेगा विंध्य का सबसे बड़ा त्यौहार हल छठ, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि 


रीवा. हरछठ या हलछठ का त्योहार जन्माष्टमी से दो दिन पहले मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, भादो या भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हरछठ का त्योहार मनाते हैं. इसे बलदेव छठ, ललही छठष, रांधण छठ, तिनछठी व चंदन छठ आदि नामों से जानते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ बलराम जी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से संतान को लंबी आयु की प्राप्ति होती है.

जानिए क्या है तिथि

हलषष्ठी व्रत पूजा मुहूर्त- षष्ठी तिथि 24 अगस्त 2024 को सुबह 07 बजकर 51 मिनट से प्रारंभ होगी और 25 अगस्त 2024 को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी. हरछठ व्रत पूजन का सुबह का समय सुबह 07:31 से सुबह 09:08 तक रहेगा.

हलषष्ठी व्रत में क्या नहीं करना चाहिए
हरछठ व्रत में हल चले भूमि पर नहीं चलना चाहिए. तामसिक भोजन जैसे प्याज व लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. इस व्रत में गाय के दूध, दही या घी का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

हलषष्ठी पूजन विधि
इस दिन महिलाएं महुआ पेड़ की डाली का दातून, स्नान कर व्रत रखती हैं. इस दिन व्रती महिलाएं कोई अनाज नहीं खाती हैं. सामने एक चौकी या पाटे पर गौरी-गणेश, कलश रखकर हल षष्ठी देवी की मूर्ति या प्रतिमा की पूजा करते हैं. इस पूजन की सामग्री में बिना हल जुते हुए जमीन से उगा हुआ धान का चावल, महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस का दूध-दही व घी आदि रखते हैं. बच्चों के खिलौने जैसे-भौरा, बाटी आदि भी रखा जाता है.

हरछठ व्रत में क्या खाना चाहिए
हरछठ व्रत में हल द्वारा बोया-जोता हुआ अन्न या कोई फल खाने की मनाही होती है. गाय के दूध-दही भी नहीं खाना चाहिए. सिर्फ भैंस के दूध-दही या घी स्त्रियां इस्तेमाल कर सकती हैं.

हरछठ व्रत का महत्व
हरछठ व्रत माताएं संतान के सुखद जीवन व लंबी आयु के लिए रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को प्रभाव से संतान को कष्टों से मुक्ति मिलती है. हरछठ व्रत में क्या खाना चाहिए- हरछठ व्रत में हल द्वारा बोया-जोता हुआ अन्न या कोई फल खाने की मनाही होती है.

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img