बागपत. बागपत शहर के बीच में स्थित बाबा जानकीदास मंदिर का इतिहास 300 वर्ष पुराना है. यहां मां दुर्गा, राधा कृष्ण और शिव परिवार की मूर्तियां स्थापित हैं. नवरात्र हो या सावन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. मंदिर में पूजन से माता जानकीदास की भी कृपा बरसती है. यहां एक साध्वी जानकी ने घोर तपस्या की थी, जिनको तपस्या से दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था. उनकी भविष्यवाणी हमेशा सटीक बैठती थी.
साध्वी के नाम से बाबा जानकीदास मंदिर नाम पड़ा. जिन्होंने मंदिर में शिव परिवार, राधा-कृष्णा और मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित की थी. नवरात्र में मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा है. सभी त्यौहारों पर यहां की छटा अलग ही रहती है. मंदिर में जो भी सच्चे मन से मन्नतें मांगी जाती हैं, वो पूरी होती हैं.
हर मनोकामना होती पूर्ण
मंदिर के पुजारी ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री बताते हैं कि मंदिर में सच्चे मन से जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वह पूरी होती है. मंदिर में पूजा से श्रद्धालुओं पर कृपा बरसती है. नवरात्र में तो भक्तों पर मां भगवती के साथ माता जानकीदास की भी कृपा बरसती है. बाबा जानकीदास मंदिर बागपत शहर के बीच में ठाकुरद्वारा मोहल्ले में प्राथमिक विद्यालय के पास स्थित है.
जल से तलवाई थी कचौड़िया
श्रद्धालु बताते हैं कि दशकों पहले साध्वी जानकी ने भंडारा किया था. उसी समय घी खत्म हो गया था तो उन्होंने यमुना नदी से जल लाकर उसमें कचौड़ियां तलवाई थी. जब घी पहुंचा तो उतना ही घी नदी को समर्पित कर दिया था. आज भी उनका पलंग मंदिर में स्थापित है. उनके सामने बैठकर जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वह पूर्ण हो जाती है.
FIRST PUBLISHED : November 3, 2024, 07:24 IST
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