बरेली: नाथ नगरी बरेली अपने प्राचीन शिव मंदिरों के लिए देश भर में प्रसिद्ध है. इसी कड़ी में बरेली का प्राचीनतम तपेश्वर नाथ मंदिर भी शामिल है, जो संतों की कठोर तपस्या के बाद स्थापित किया गया. यह मंदिर विशेष रूप से भालू बाबा की 400 वर्षों की कठिन तपस्या का प्रतीक है. यहां भगवान भोलेनाथ, संतोषी मां, राम दरबार, शनि देव, राधा-कृष्ण, और शीतला मां की पूजा होती है. मंदिर परिसर में अशोक वाटिका और कई संतों की समाधियाँ भी हैं, जिनकी भक्त श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं.
मंदिर के पुजारी बाबा लखनदास तपस्वी नाथ ने Bharat.one से बातचीत में बताया कि इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. पहले यहां रामगंगा बहती थी, और भालू बाबा ने नदी के किनारे गुफा में बैठकर 400 वर्षों तक कठिन तपस्या की थी. उनकी तपस्या के फलस्वरूप इस स्थान को ‘तपस्वी नाथ मंदिर’ का नाम दिया गया. आज यह मंदिर एक आस्था का केंद्र है, जहां साधु-संतों की समाधियाँ हैं और रोजाना पूजा होती है. मंदिर की मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और समय-समय पर बड़े संत यहां दर्शन के लिए आते हैं.
भक्तों का अनुभव
मंदिर में आने वाले भक्त बताते हैं कि वे लंबे समय से यहां पूजा-अर्चना करने आते रहे हैं. यहां आकर उन्हें आत्मिक शांति और संतोष मिलता है. भक्तों का मानना है कि मंदिर में की गई उनकी प्रार्थनाएं सफल होती हैं, और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 16:46 IST
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