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400 साल में पहली बार चांदी के सिंहासन पर बिराजीं रूप बदलने वाली रानगिर माता, करें दर्शन


सागर: मध्य प्रदेश के सागर में विंध्य पर्वतमाला की चोटी पर रानगिर में हरसिद्धि माता का प्रसिद्ध मंदिर है. इस इलाके की पहचान घने जंगल, कठोर चट्टान, दुर्गम रास्ते और देहार नदी के रूप में है. यहां हरसिद्धि माता दिन में तीन रूप में दर्शन देती हैं, जिसमें सूर्य की प्रथम रश्मियों और लालिमा के सुनहरे पर्यावरण में उनकी मुद्रा बाल सुलभ किशोरी के रूप में देखी जा सकती है.

दोपहर में युवा रूप में मां दर्शन देती हैं और शाम को मां एक वृद्ध नारी के रूप में दृश्यमान होती हैं. परिवर्तनशील मां की छवि में श्रद्धालु अपनी समूची आस्था और श्रद्धा मां के चरणों में समर्पित कर धन्य हो जाते हैं. नवरात्रि से ठीक 1 दिन पहले भी ऐसा ही हुआ है, जहां खेजरा धाम महाकाल की कृपा से और माता रानी की प्रेरणा से गर्भगृह में पहली बार चांदी का सिंहासन बनाया गया है. ऐसा 400 साल में पहली बार हुआ है.

9 किलोग्राम चांदी लगवाई
इतिहासकारों के मुताबिक, यह स्थान करीब 400 साल पुराना है. मराठा कालीन इस मंदिर की भव्यता और दिव्यता आज भी है. सच्चे मन से जाने वाले श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी होती हैं. भक्तों के द्वारा माता की जो मढ़िया है, जिसे गर्भगृह कहते हैं, उस पूरी मढ़िया को 9 किलो चांदी से मढ़वाया गया है.

नागपुर से आए फूलों से सजा मंदिर
वहीं, इसके पहले माता मंदिर को भव्य फूल बंगला से सजाया गया. फूल बंगला सजाने के लिए नागपुर से गुलाब, बेला, चमेली के फूल मंगाए गए. 10 किलो फूलों से माता का गर्भगृह और मढ़िया का श्रृंगार किया गया. माता के मंदिर में चांदी पर नक्काशी करने और सिंहासन को लगवाने के लिए दमोह से कारीगर बुलाए गए थे.

भव्य महाआरती उतारी
मंदिर के मुख्य पुजारी कामता प्रसाद शास्त्री ने बताया कि हरसिद्धि माता के मंदिर में 400 साल में पहली बार ऐसा हुआ, जब चांदी के सिंहासन पर माता को विराजमान कराया गया. फिर महाआरती उतारी गई. इसके अलावा मंदिर परिसर में भक्तों द्वारा भंडारा और प्रसादी वितरण का कार्यक्रम किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए.

मंदिर में पूरी व्यवस्था
मंदिर कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष अशोक पांडा ने बताया कि नवरात्रि को देखते हुए मंदिर में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए सभी व्यवस्थाएं की गई हैं, ताकि हरसिद्धि माता के दर्शन सुलभता के साथ हो सकें. इसमें संतोष पंडा ट्रस्ट के सदस्य शुभम पंडा, विनोद शास्त्री, अनिल शास्त्री, कुलदीप पंडा सहित श्रीदेव बाकी राघव मंदिर के पुजारी भी मौजूद रहे.

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