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5 हजार साल पुराना है यूपी का यह तालाब, मिनी हरिद्वार की तरह आता है नजर, यहां स्नान का है बड़ा महत्व


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Aligarh Achal Sarovar: अलीगढ़ का अचल सरोवर महाभारत काल से जुड़ा है, जहां नकुल और सहदेव ने स्नान किया था. इसका जल त्वचा रोगों का इलाज माना जाता था. अब इसका सौंदर्यकरण कर इसे मिनी हरिद्वार जैसा बनाया गया है.

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मिनी हरिद्वार जैसा दिखाई देता है अलीगढ़ का अचल सरोवर

हाइलाइट्स

  • अचल सरोवर का इतिहास 5000 साल पुराना है.
  • महाभारत काल में नकुल और सहदेव ने यहां स्नान किया था.
  • अचल सरोवर का जल त्वचा रोगों को दूर करता है.

वसीम अहमद /अलीगढ़. उत्तर प्रदेश का जनपद अलीगढ़ ताला और तालीम के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. इसी ताला और तालीम के शहर में कई ऐतिहासिक धरोहर भी मौजूद हैं, जिनमें से एक है अचल सरोवर.  अचल सरोवर का इतिहास करीब 5000 हजार साल पुराना है. महाभारत काल के दौरान यहां दो पांडवों नकुल और सहदेव ने शिवरात्रि के समय स्नान किया था. इसका जल इतना शुद्ध था कि जो कोई व्यक्ति भी इसमें स्नान कर लेता था, उसको त्वचा संबंधित रोगों से मुक्ति मिल जाती थी. लेकिन साल दर साल इसकी पौराणिकता और महत्ता कम होती गई. मुगल काल और उसके बार तो इसकी हालत और भी खराब हो गई. पानी काफी दूषित हो गया था. इसके बाद इस अचल सरोवर का सौंदर्यकरण कराया गया और अब यह पहले की तरह साफ और पवित्र है.

अचल सरोवर के ठीक बीचों बीच में गुमटी पर 20 फुट ऊंची शिव प्रतिमा स्थापित कि गई है. इसके चारों ओर फव्वारे लगाए गए हैं. 510 मीटर का एलिवेटर परिक्रमा मार्ग, आरती घाट और जेआरसी के कार्य से इसकी सुंदरता में चार चांद लगाए गए हैं. इतना ही नहीं इसमें घाट से नौकायन हो भी सकता है. कैंटीन, तुलसी वाटिका, हवन कुंड के साथ लाइट एंड साउंड शो भी बनाया गया है. दूर से देखने पर यह अचल सरोवर मिनी हरिद्वार के रूप में दिखाई देता है.

जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी महंत कौशल नाथ जी ने बताया कि यह अचल सरोवर महाभारत कालीन है और इस अचल सरोवर के बारे में कहा जाता है कि महाभारत में अज्ञात  वास के दौरान नकुल,  सहदेव ने यहां स्नान किया था. इस वजह से यह निश्चित रूप से बहुत पौराणिक रूप से यह हमारी सनातनी धरोहर है और इसमें यह मान्यता रही थी कि इसमें जो जल आता था मंदिरों के स्नान का जलता था और इसके जल से स्नान करने से 6 रोग यानी कि त्वचा से संबंधित रोगों का समाधान हुआ करता था. इतना पवित्र जल इस अचल सरोवर में था. इसकी बहुत मानता थी और पूर्णमासी को यहां मेले लगते थे. कालांतर में इसमें काफी गंदगी आई अब इसे फिर से इसका सौंदर्य करण से हुआ है. तो निश्चित रूप से मैं समझता हूं कि जो पुरानी परंपराएं हैं वह पुनः जीवित हो रही हैं और यही पुरानी परंपराओं और मान्यताओं को यह सरोवर प्राप्त कर लेगा.

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