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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने विश्व कल्याण के लिए कई नीतियां बनाई हैं, जो आज भी कारगर हैं. आचार्य चाणक्य ने नीतियों में कहा है कि पत्नियों को भूलकर भी अपने पति को ये 5 बातें नहीं बतानी चाहिए. इन बातों को ना बताने से रिलेशन मजबूत होता है और गृहस्थ भी चलता रहता है. आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य की इस नीति के बारे में…

आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में पारिवारिक जीवन, रिश्तों और मानव स्वभाव के बारे में अमूल्य सिद्धांत दिए हैं. उनके कथन आज भी हमारे जीवन में लागू होते हैं. हर रिश्ता प्रेम, विश्वास और समझ पर टिका होता है. लेकिन सिर्फ ये तीन ही नहीं, मौन, धैर्य और सही समय पर सही शब्द बोलने की आदत भी बहुत जरूरी है. कभी-कभी हमारे कहे शब्द हमारे बंधन को कमजोर कर सकते हैं, लेकिन हमारी खामोशी उस बंधन को और मजबूत बना देती है. चाणक्य नीति के अनुसार, पत्नी को अपने पति के साथ हर छोटी-बड़ी बात साझा करने की जरूरत नहीं है. आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य ने किन बातों को लेकर कहा है कि पत्नियों को भूलकर भी अपने पति को ये 5 बातें नहीं बतानी चाहिए…

आचार्य चाणक्य की पहली बात – आचार्य चाणक्य ने कहा कि रिलेशन को मजबूत करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना अच्छा होता है. इनमें सबसे पहले आती हैं, मायके की बातें. शादी के बाद, पत्नी के लिए अपने मायके की हर छोटी-बड़ी बात अपने पति के साथ साझा करना जरूरी नहीं है. इससे आपके पति असहज महसूस कर सकते हैं या उन्हें ऐसा लग सकता है कि उनकी तुलना आपसे की जा रही है. हर परिवार की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं, इसलिए उनकी तुलना करने से रिश्ते में गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं.

आचार्य चाणक्य की दूसरी बात – झूठ बोलने के बारे में आचार्य चाणक्य बहुत स्पष्ट हैं. एक बार झूठ का पर्दाफाश हो जाए, तो विश्वास हमेशा के लिए टूट जाता है. रिश्ते की नींव विश्वास ही होता है. एक बार यह कमजोर हो जाए, तो इसे फिर से बनाना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए हमेशा ईमानदार रहना ही बेहतर है. छोटी-छोटी बातों में भी, अपने पति को धोखा ना देने से आपको मानसिक शांति मिलेगी.

आचार्य चाणक्य की तीसरी बात – आचार्य चाणक्य ने आगे बताया कि तीसरा है तुलना. कई महिलाएं अपने पतियों की तुलना दूसरों से करती हैं. हालांकि ये शब्द, वह ऐसा है, तुम वैसे क्यों नहीं हो? मज़ेदार लग सकते हैं, लेकिन ये पुरुषों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा सकते हैं. ये तुलनाएं धीरे-धीरे प्यार कम करती हैं और दूरियां बढ़ा सकती हैं.

आचार्य चाणक्य की चौथी बात – चाणक्य ने आर्थिक मामलों का भी जिक्र किया है. जरूरी नहीं कि पत्नी अपनी बचत, दान या पारिवारिक खर्चों के बारे में पूरी जानकारी दे. कुछ बातों को गुप्त रखने से पारिवारिक आर्थिक संतुलन बना रहेगा. हालांकि महत्वपूर्ण फैसलों पर दोनों के बीच बातचीत बेहतर होती है.

आचार्य चाणक्य की पांचवी बात – पांचवा और अंतिम महत्वपूर्ण कारक है क्रोध. जब हम क्रोधित होते हैं तो हमारे मुंह से निकले शब्द तीर की तरह होते हैं. एक बार निकल जाने के बाद, उन्हें वापस नहीं लिया जा सकता. इसलिए, महिलाओं को हमेशा क्रोधित होने की जरूरत नहीं है, कभी कभार रिलेशन में चुप रहना ही रिश्ते को बचाए रखेगा. कुछ समय ना बोलना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है.







