हिंदू रीति-रिवाजों में व्रत का विशेष महत्व है. विभिन्न व्रतों के माध्यम से श्रद्धालु अपने आराध्य की पूजा-अर्चना करते हैं. इसमें करवा चौथ, देव प्रबोधिनी एकादशी, धनतेरस और गुरु पर्व जैसे व्रत शामिल हैं. इन व्रतों से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
हरतालिका तीज व्रत
हरतालिका तीज व्रत 6 सितंबर को होता है और यह भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण के अनुसार, यह व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिसे कजली तीज भी कहते हैं. इस दिन महिलाएं निराहार और निर्जल व्रत रखती हैं.
फिर बालू-रेत से भगवान शंकर और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा करती हैं. इस व्रत के दौरान मंगल गीत गाए जाते हैं और कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण किया जाता है. व्रत का समापन अगले दिन पूजा-अर्चना के साथ किया जाता है.
ऋषि पंचमी व्रत
ऋषि पंचमी व्रत इस साल 8 सितंबर को पड़ रहा है. इस व्रत में सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन नदी आदि में स्नान करके सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है. पूजा में हरिद्रा से चौकोर मंडल बनाकर उसमें सप्त ऋषियों का स्थापन कर पुष्प, धूप, दी, और नैवेद्य से आराधना की जाती है. इसके बाद व्रती ब्रह्मचर्य पालन और शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं.
हरतालिका तीज और ऋषि पंचमी व्रत के फायदे
विवाहित महिलाएं हरतालिका तीज व्रत अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए रखती हैं. नवविवाहित महिलाएं भी इस व्रत को सौभाग्य और खुशहाली के लिए करती हैं.
इन व्रतों को करने से धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति मिलती है. व्रत के दौरान उपवास करने से शरीर की सफाई होती है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है.
इन व्रतों से परिवार में समृद्धि और सुख-शांति आती है. परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम और एकता बढ़ती है, जिससे घर में खुशहाली बनी रहती है.
FIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 08:44 IST
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