Home Dharma 650 साल पुराना है यह मंदिर, यहां रात को आती है काली...

650 साल पुराना है यह मंदिर, यहां रात को आती है काली माता! गूंजती है पायलों की छन-छन की आवाज

0


Last Updated:

Chaitra Navratri 2025: मेरठ सदर स्थित मां काली के प्रति भक्तों में अटूट आस्था देखने को मिलती है नवरात्र में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां मां काली के दर्शन करते हैं. साथ ही वर्षों से एक किंवदंती चली आ रही …और पढ़ें

X

मां काली 

हाइलाइट्स

  • मेरठ के मां काली मंदिर में रात को पायल की आवाज सुनाई देती है.
  • मंदिर 650 साल पुराना है और पहले श्मशान स्थल था.
  • श्रद्धालु मां काली से सच्चे मन से मांगते हैं, सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.

 विशाल भटनागर/ मेरठ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ की बात करें तो आज भी यहां विभिन्न ऐसे ऐतिहासिक मंदिर देखने को मिलेंगे. जहां विभिन्न प्रकार के रहस्य बने हुए हैं. कुछ इसी तरह का उल्लेख मेरठ सदर स्थित मां काली देवी मंदिर का भी मिलता है. मान्यता है कि यहां रात को मां काली के पायल की आवाज गूंजती हुए सुनाई देती है. ऐसे में 11 पीढ़ियों से मंदिर की व्यवस्था संभाल रहे मुख्य पुजारी से Bharat.one टीम द्वारा भी खास बातचीत की गई.

मंदिर की परिक्रमा करती है मां

बंगाली परिवार से ताल्लुक रखने वाले मंदिर के मुख्य पुजारी सुधीर बनर्जी बताते हैं कि मंदिर में  रात को 1:00 बजे से 3:00 के मध्य मां भगवती की पायल की आवाज सुनाई देती है. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज बताते थे कि यहां मां काली रात के समय भवन परिसर में परिक्रमा लगाती हैं. इसलिए इस तरह से छम-छम की आवाज सुनाई देती हैं. जो मां के साक्षात विराजमान होने का यह एक प्रमुख प्रमाण है.उन्होंने बताया कि यहां देश भर से भक्त मां काली की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं. क्योंकि श्रद्धालु जो भी मां काली से मांगते हैं, उन सभी के मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

650 साल पुराना है मंदिर

मंदिर की पुजारी सुधीर बनर्जी बताते हैं  उनके पूर्वजों द्वारा इस स्थान पर तपस्या की गई थी. तब मां काली द्वारा दर्शन दिए गए थे. जिसमें की मां काली ने कुएं की सफाई करने के लिए कहा था. उसी कुएं की सफाई करते हुए मां शीतला माता, मां काली की पिंडी मिली. इसके बाद यहां मंदिर की स्थापना करते हुए मां काली की मिट्टी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. यही आपके मन शीतल और मां काली की पिंडी भी दिखाई देंगी. साथ ही यहां पंचमुंड भी स्थापित किए गए हैं. वह बताते हैं कि  मंदिर के गजट के अनुसार यह 650 साल पुराना मंदिर है.

कभी हुआ करता था शमशान आज है मुख्य बाजार

उन्होंने बताया कि पहले इस क्षेत्र को श्मशान के तौर पर जाना जाता था. जब यहां मां काली मंदिर की स्थापना की गई थी. उसके पश्चात यहां धीरे-धीरे लोग आने लगे और आज शहर का प्रमुख बाजार भी सदर माना जाता है. उन्होंने बताया कि श्रद्धालु जो भी मां काली से सच्चे मन से मांगते हैं. उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती है. बताते चले कि मंदिर के प्रति भक्तों की भी अटूट आस्था देखने को मिलती है. सभी भक्त विधि विधान के साथ मां काली की पूजा अर्चना करते हुए नजर आते हैं.

homedharm

650 साल पुराना है यह मंदिर, यहां रात को आती है काली माता!

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version