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7 सितंबर को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण, गर्भवती महिलाएं जरूर जान लें ये नियम, जानें समय, प्रभाव और सावधानियां


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अयोध्या: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से यह केवल एक खगोलीय घटना है. हिंदू पंचांग के अनुसार, 7 सितंबर दिन रविवार को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. ज्योतिष के अनुसार यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो अत्यंत शक्तिशाली माना जा रहा है. ऐसी स्थिति में इस ग्रहण का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व है. आइए जानते है ग्रहण से जुड़े कुछ राज…

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दरअसल साल का आखिरी चंद्र ग्रहण पितृपक्ष के दिन लग रहा है, जो न केवल रात में आकाश को प्रभावित करेगा बल्कि आत्मा को भी प्रभावित कर सकता है. रविवार, 7 सितंबर को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण 100 वर्षों में एक बार आता है. चंद्र ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता और इस दौरान पूजा-पाठ भी नहीं किया जाता.

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धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल के समय नकारात्मक ऊर्जा का संचार काफी अधिक होता है. इसी कारण इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं. ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर को गंगाजल से पवित्र कर शुद्धिकरण किया जाता है और भगवान को स्नान कराया जाता है.

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ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार का पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस अवधि में पृथ्वी पर नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाता है. हालांकि, इस समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा का संचार समाप्त हो जाता है.

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ग्रहण काल के दौरान विशेष रूप से मंदिर के कपाट बंद कर देने चाहिए. इस समय धार्मिक आयोजन नहीं करने चाहिए और किसी भी तामसी पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए.

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ग्रहण के दौरान 9 घंटे पहले सूतक काल लगता है. 7 सितंबर को रात 9:58 से ग्रहण शुरू होगा और 1:26 पर समाप्त होगा. ऐसे में 9 घंटे पहले से ही सूतक काल मान्य होगा. इस अवधि में कोई भी शुभ और धार्मिक कार्य नहीं करना चाहिए.

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ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. उन्हें घर के भीतर रहना चाहिए और ग्रहण को देखने से परहेज करना चाहिए. इस दौरान नुकीली वस्तुओं के प्रयोग से भी बचना चाहिए. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना आवश्यक माना जाता है.

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जब ग्रहण समाप्त हो जाए, तो गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए और घर की पूरी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए. इसके साथ ही, जरूरतमंदों को दान देना चाहिए और भगवान का नाम लेकर प्रार्थना करनी चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से ग्रहण के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है.

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100 साल बाद लग रहा है खास चंद्र ग्रहण, जानें क्यों माना जा रहा है अशुभ

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