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Khwaja Kadak Shah Abdhal Majar: कौशाम्बी में मां शीतला मंदिर और ख़्वाजा कड़क शाह अबदाल की 750 वर्ष पुरानी मजार धार्मिक स्थल हैं. यहां की भट्टी में सूखे फूल जल जाते हैं और भौतिक बाधाएं दूर होती हैं. मजार में मौजू…और पढ़ें

कड़क शाह की मजार
कौशाम्बी: कौशाम्बी ऐतिहासिक के साथ-साथ धार्मिक स्थल होने के कारण देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं. यहां के कड़ा में मां शीतला मंदिर के अलावा विश्व प्रसिद्ध ख़्वाजा कड़क शाह अबदाल का मजार में लाखों लोगों का श्रद्धा का केंद्र है. 750 वर्ष पुराना ख़्वाजा कड़क शाह की मजार है. मजार के दक्षिण ओर मे आज 750 वर्ष पुराना इमली का पेड़ और भट्टी आज भी मौजूद है. मजार में मौजूद मौलवी का कहना है कि यह जो 750 साल पुरानी भट्टी है. जिस पर लोग जलती भट्टी पर अपना पैर डालकर बैठते थे. लेकिन पैर नहीं जलता था और उस भट्टी में आज भी सूखे हुए फूल डालने से फूल अपने आप जल जाते हैं और मान्यता है कि जो भी भौतिक बाधा से परेशान होता है, वह मजार जाते ही कुछ दिनों बाद अपने आप भैतिक बाधा ठीक हो जाती है.
ख्वाजा साहब औलादे पैगंबर थे. अलाउद्दीन खिलजी को इन्होंने बादशाह बनाया. अलाउद्दीन खिलजी ने एक रोटी खिलाया था, एक रोटी को बांध कर दिया था. इसलिए इनकी ताजपोशी कर दी थी. अलाउद्दीन के चाचा जलाल उद्दीन खिलजी दिल्ली के बादशाह थे. जब इनको पता हुआ कि अलाउद्दीन हिंदुस्तान के बादशाह बन गए, तब जलाल उद्दीन तीन लाख फौज के साथ इनको पकड़वाकर मारना चाहते थे. तभी ख्वाजा साहब के पास अलाउद्दीन गए और बोले हमारे चाचा मारने आ रहे हैं, तो ख्वाजा साहब ने कहा अगर उसकी मारने की नियत है तो धड़ कश्ती में रह जाएगा और गर्दन दरिया में चला जाएगा और दरिया में नाव चाचा भतीजा के आमने सामने हुआ. जलाल उद्दीन के समझ में नहीं आया और भतीजे ने तलवार से वार किया धड़ कश्ती में रह गया और गर्दन दरिया में. अलाउद्दीन की कब्र मुबारक ख्वाजा साहब के ही पास ही है और यहां हिन्दू भाई बहुत ज्यादा तादाद में आते हैं. यही से अमीर खुसरो को औलाद भी हुई थी. अ