श्रीनगर गढ़वाल. पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर में उत्तराखंड का एक मात्र भगवान गोरखनाथ का प्राचीन गुफा मंदिर है. प्राचीन होने के साथ ही यहां 800 साल पुरानी तीन गुफाएं हैं. भगवान भैरवनाथ स्वयं रक्षक के रूप में इस मंदिर के द्वार पर विराजमान हैं. यहां भगवान गोरखनाथ के दर्शन करने के लिए भक्त देश विदेशों से पहुंचते हैं. कहते हैं कि यहां भगवान गोरखनाथ ने कई वर्षों तक तपस्या की.
मंदिर के संरक्षक मंगलानंद पटवाल ने Bharat.one को बताया कि गोरखनाथ का मंदिर पुराने श्रीनगर के समय से यहां है. श्रीनगर अलकनंदा में बाढ़ आने से कई बार बहा और उसके बाद बसा है. जब से श्रीनगर बसा तब से यहां गोरखनाथ मंदिर का अस्तित्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गोरखनाथ के मंदिर का निर्माण लगभग 800 साल पहले करवाया गया, लेकिन यहां गुफाएं पहले से ही मौजूद हैं.
इस गुफा में भगवान गोरखनाथ ने की थी तपस्या
मंगलानंद पटवाल बताते हैं कि गोरखनाथ भगवान शिव के अवतारों में से एक हैं यह एक सिद्धपीठ है. यहां तीन गुफाएं हैं.जिनमें से एक बड़ी और दो छोटी गुफाएं हैं. बड़ी गुफा में गोरखनाथ की 800 साल पुरानी मूर्ति विराजमान है. जिस जगह पर मूर्ति विराजमान है, उसी गुफा में भगवान गोरखनाथ ने तपस्या की थी.
भैरवनाथ करते हैं मंदिर की रक्षा
गुफा के द्वार पर बटुक भैरवनाथ का मंदिर है. भैरवनाथ गोरखनाथ गुफा की रक्षक और देख रेख करते हैं. भैरवनाथ को गोरखनाथ का शिष्य माना जाता है जो मंदिर की देखरेख और रक्षा करते हैं. यहां भक्त दक्षिण भारत से काफी संख्या में दर्शन करने के लिए आते हैं.कहते हैं गोरखनाथ के दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
ऐसे पहुंचें मंदिर तक
गोरखनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से होते हुए पहले कीर्तिनगर और उसके बाद श्रीनगर में प्रवेश कर भक्तियाना से लगभग सौ मीटर की दूरी पर गोरखनाथ मंदिर है.मंदिर में प्रवेश करते ही पहले गोरखनाथ के रक्षक भैरव नाथ के दर्शन होते है.उसके बाद गोरखनाथ के तीन गुफाओं के दर्शन होते हैं.
FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 14:53 IST
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