
चाणक्य की दृष्टि में, कर्म शब्दों से अधिक शक्तिशाली होते हैं. कोई शब्दों से धोखा दे सकता है, लेकिन उसके कर्म ही असली सच्चाई बयां करते हैं. एक ऐसा मित्र जो मुश्किल समय में मुंह छिपा लेता है. एक ऐसा साथी जो प्यार की बड़ी-बड़ी बातें करता है, लेकिन हमारी उपेक्षा करता है. ऑफिस में काम करने वाले जो हमारे सामने हमारी प्रशंसा करते हैं और पीछे हमारा श्रेय ले लेते हैं. इन सभी का असली स्वरूप उनके व्यवहार से प्रकट होता है.
गपशप करने वालों से सावधान
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो लोग ऑफिस में हमारे सामने बॉस या दूसरों की बुराई करते हैं, वे निश्चित रूप से दूसरों के सामने हमारी भी बुराई करेंगे. ऐसे लोग नाटक पसंद करते हैं. इसलिए ये अपने अंदर कोई राज नहीं रख पाते. ऑफिस में ऐसे लोगों के साथ सकारात्मक माहौल बनाना बुद्धिमानी है, जो नए आइडिया और करियर की उन्नति के बारे में बात करते हैं, ना कि दूसरों के पर्सनल मामलों के बारे में.
चाणक्य ने आगे बताया है कि सबसे बुद्धिमान और शक्तिशाली वे होते हैं, जो चुपचाप अपने आस-पास के लोगों को देखते हैं. जहां एक ओर अनावश्यक रूप से ज्यादा बोलने वाला व्यक्ति अपनी कमजोरियों को उजागर करता है. वहीं दूसरी ओर मौन रहने वाला व्यक्ति सुनता है, सीखता है और सब कुछ का विश्लेषण करता है. अगर हम कम बोलें और दूसरों को ज्यादा मौके दें, तो वे अनजाने में ही बहुत सी बातें उजागर कर देंगे. ऑफिस में यह एक सबसे शक्तिशाली तकनीक है.

एक सच्ची मुस्कान पूरे चेहरे पर, खासकर आंखों में, दिखाई देती है. एक सतही मुस्कान होठों तक ही सीमित रहती है और उसमें कोई भाव नहीं होता. चाणक्य के अनुसार, ऑफिस में ऐसे लोगों से सावधान रहें, जो दूसरों के दुख में हंसते हैं और दूसरों की मजबूरी का फायदा भी उठाते हैं. क्योंकि उन्हें दूसरों का दर्द देखकर अच्छा लगता है. उन लोगों से दूर रहना ही बेहतर है जो दूसरों का मजाक उड़ाते हुए खुद पर मजाक करना बर्दाश्त नहीं कर पाते. यह उनके अहंकार और असुरक्षा को दर्शाता है.
डबल स्टैंडर्ड वाले लोगों से दूर रहें
किसी व्यक्ति का असली चरित्र इस बात से तय होता है कि वह उन लोगों के साथ कैसा व्यवहार करता है, जो उसके किसी काम के नहीं हैं. जो लोग होटल के कर्मचारियों, ड्राइवर, जानवर या मदद के लिए आने वाले अजनबियों के साथ सम्मान से पेश आते हैं, वे आमतौर पर नेकदिल होते हैं. लेकिन अगर वे अपने से कमतर लोगों के साथ सख्ती बरतते हैं और हमारे साथ बहुत ज़्यादा विनम्रता से पेश आते हैं, तो वे बहुत खतरनाक होते हैं. जब उनका हमसे मन भर जाएगा, तो वे हमें छोड़कर जाने के बारे में एक पल के लिए भी नहीं सोचेंगे.
ऐसे पहचानें सामने वाले को
आचार्य चाणक्य अंत में कहते हैं कि दूसरे व्यक्ति के मन की बात जानने के लिए, बस उसकी आंखों को देखिए. अस्थिर निगाहें, बार-बार पलकें झपकाना और आंखों में सीधे न देख पाना, झूठ बोलने या चिंता के लक्षण हैं. कुछ लोग दूसरे व्यक्ति पर हावी होने के लिए देर तक आंखों में देखते रहते हैं. ईमानदार लोगों की निगाहें हमेशा स्थिर और शांत रहती हैं. अगर किसी की आंखों में मुस्कान ना दिखे, तो समझ लीजिए कि उस मुस्कान में ईमानदारी नहीं है.