अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर, गुरुवार यानी आज रखा जा रहा है.इस व्रत में माता पार्वती के स्वरूप अहोई माता की पूजा की जाती है.
Ahoi Ashtami 2024 : हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है. यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए रखती हैं. यह व्रत भी पूरी तरह से निर्जला होता है. इस बार यह व्रत 24 अक्टूबर, गुरुवार यानी आज रखा जा रहा है. इस व्रत में माता पार्वती के ही एक स्वरूप अहोई माता की पूजा किए जाने का विधान है. पूरे दिन व्रत के बाद शाम को यह पूजा की जाती है. यह तिथि कब से कब तक है, इसकी पूजा विधि और नियम क्या हैं? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
अहोई अष्टमी तिथि कब से कब तक
पंडित के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर 2024 बुधवार की रात 1 बजकर 18 मिनट से होने चुकी है. वहीं इसका समापन 24 अक्टूबर, 2024 गुरुवार की रात 1 बजकर 58 मिनट पर होगा.
इस कुंड में स्नान किए जाने की परंपरा
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को रखने से संतान का स्वास्थ्य ठीक रहता है और उसके जीवन में खुशियां आती हैं और भविष्य उज्जवल होता है. वहीं संतान की चाह रखने वाले नि:संतान दंपत्ति इस दिन गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में स्थित राधाकुण्ड में स्नान करते हैं. इसका बड़ा महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि, इससे संतान सुख की प्राप्ति होती है.
आसमान में तारे निकलने पर होती है पूजा
इस व्रत में अहोई माता की पूजा शाम के समय आसमान में तारे निकलने के बाद की जाती है. इसके लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाया जाता है. वहीं कई लोग आजकल बाजार में मिलने वाले चित्र भी लेकर आते हैं. इसके बाद चौकी रखकर उस पर कलश रखकर स्वास्तिक बनाया जाता है.
पूजा के दौरान माता अहोई को मीठे पुए या हलवे का भोग लगाया जाता है और माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना कर आशीर्वाद मांगती हैं. पंडित जी के अनुसार, पूजा के दौरान दाहिने हाथ में गेहूं के सात दाने लेकर कथा को सुनना या पढ़ना चाहिए. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए.
FIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 07:40 IST