अजा एकादशी का व्रत आज 29 अगस्त गुरुवार को है. आज के दिन अजा एकादशी व्रत 3 शुभ संयोगों में है. आज गुरुवार व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग का सुंदर संयोग बना है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि को अजा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को चक्रवर्ती राजा हरिश्चंद्र के समान ही पुण्य लाभ हो सकता है. इसका वर्णन अजा एकादशी की कथा में मिलता है. अजा एकादशी की पूजा के समय आपको भी अजा एकादशी की व्रत कथा पढ़नी चाहिए. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं अजा एकादशी की व्रत कथा के बारे में.
अजा एकादशी व्रत कथा
एक बार राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से भाद्रपद कृष्ण एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताने का निवेदन किया. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि इस व्रत को अजा एकादशी के नाम से जानते हैं. इस व्रत से जुड़ी कथा उन्होंने युधिष्ठिर को बताई. कथा के अनुसार, एक बार चक्रवर्ती राजा हरिशचंद्र ने अपना राजपाट, पत्नी, पुत्र, धन, दौलत आदि सबकुछ खो दिया और नौबत यहां तक आ गई कि उन्होंने स्वयं को भी बेच दिया. उनको एक चांडाल ने खरीदा था.
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वे चांडाल के नौकर बन गए थे. वह अपने कर्मों के अनुसार ही उनसे कार्य करता था. वे श्माशान घाट पर मृतकों के वस्त्र लेते थे और चांडाल की आज्ञा का पालन करते थे. इतना सबकुछ होने के बाद भी हरिश्चंद्र ने सत्य और धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा. अपने मार्ग से विचलित नहीं हुए.
हरिश्चंद्र जब सभी कार्यों के बाद अकेले होते थे, तो इस बात पर विचार करते थे कि इस परिस्थिति से बाहर कैसे आया जाए. उनका और उनके परिवार का उद्धार कैसे होगा. इसके लिए वे क्या कर सकते हैं. यह सब करते हुए कई साल बीत गए. इस दिन उनकी मुलाकात गौतम ऋषि से हुई. उन्होंने उनको प्रणाम करके आदर-सत्कार किया. उसके बाद अपनी स्थिति और मन की व्यथा से उनको अवगत कराया. उन्होंने गौतम ऋषि से इसका उपाय पूछा.
इस पर गौतम ऋषि ने कहा कि आज से 7 दिन बाद भाद्रपद कृष्ण एकादशी का व्रत है. उस दिन तुम विधि विधान से व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करो. श्रीहरि की कृपा से तुम्हारे सभी दुख दूर हो जाएंगे. गौतम ऋषि के सुझाव के अनुसार हरिश्चंद्र ने भाद्रपद कृष्ण एकादशी के दिन व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की. रात्रि जागरण के बाद अगले दिन पारण किया.
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इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए, जिसके पुण्य प्रभाव से हरिश्चंद्र के पाप नष्ट हो गए. उनकी पत्नी मिल गईं और मृत बेटा भी जीवित हो उठा. उनका खोया हुआ राजपाट, धन, दौलत, ऐश्वर्य सबकुछ वापस मिल गया. वे पहले की तरह ही चक्रवर्ती राजा हो गए. राजा हरिश्चंद्र सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगे. जीवन के अंत में वे अपने परिवार के साथ स्वर्ग चले गए.
अजा एकादशी 2024 मुहूर्त-योग
भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ: 29 अगस्त, गुरुवार, 01:19 एएम से
भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि का समापन: 30 अगस्त, शुक्रवार, 01:37 एएम पर
सर्वार्थ सिद्धि योग: 29 अगस्त, शाम 4:39 बजे से अगले दिन प्रात: 5:58 बजे तक
पूजा मुहूर्त:
सुबह 05:58 बजे से लेकर सुबह 07:34 बजे तक
चर-सामान्य मुहूर्त: 10:46 ए एम से 12:22 पी एम
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 12:22 पी एम से 01:58 पी एम
पारण समय:
30 अगस्त, सुबह 7:49 बजे से 8:31 बजे तक
FIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 07:57 IST