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भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर उपखंड क्षेत्र की घाटा रानी माताजी शक्ति पीठ आस्था का केंद्र है. यहां नवरात्रि कलश स्थापना होने के पहले संध्या आरती के साथ ही मंदिर के पट बंद हो जाते हैं.
अष्टमी के दिन खुलते हैं माता के पट के दर्शन
हाइलाइट्स
- भीलवाड़ा का घाटारानी माता मंदिर नवरात्रि में 7 दिन बंद रहता है.
- अष्टमी के दिन मंगला आरती के बाद पट खुलते हैं.
- मंदिर की शुद्धि बनाए रखने के लिए पट बंद किए जाते हैं.
भीलवाड़ा:- नवरात्रि के दिनों में देश और राजस्थान भर में मां दुर्गा और उनके स्वरूप के जहां-जहां मंदिर हैं, उनमें भारी भीड़ रहती है. श्रद्धालु मंदिरों में जाते हैं और पूर्जा अर्चना करते हैं. लेकिन राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में एक ऐसा ‘शक्ति पीठ’ है, जहां नवरात्रि में सात दिन तक मंदिर का गर्भगृह दर्शन के लिए बंद रहता है. अष्टमी को पट खुलने पर भक्तों को मातारानी के दर्शन होते हैं.
भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर उपखंड क्षेत्र की घाटा रानी माताजी शक्ति पीठ आस्था का केंद्र है. यहां नवरात्रि कलश स्थापना होने के पहले संध्या आरती के साथ ही मंदिर के पट बंद हो जाते हैं. इन दिनों में केवल पुजारी गर्भगृह में प्रवेश कर समय-समय पर माता की पूजा करता है. भक्तगण बाहर से ही पूजा अर्चना कर सकते हैं. माता के दर्शन नहीं कर पाते हैं और अष्टमी के दिन भक्तों के लिए यह पट खुलते हैं.
घटस्थापना के साथ ही पट बंद
घाटारानी माता मंदिर के पुजारी शक्तिसिंह तंवर ने कहा कि नवरात्रि में कई शक्तिपीठों के पट बंद नहीं किए जाते हैं. मगर यहां पर घटस्थापना के साथ ही पट बंद कर दिए जाते हैं. इसका मुख्य कारण यही है कि मंदिर के अंदर शुद्धि बनी रहे. अमावस्या के दिन सुबह 7 बजे माता की आज्ञा लेकर पट बंद कर दिए जाते हैं. फिर उसके बाद घटस्थापना की जाती है. इसके बाद अष्टमी के दिन माता रानी की आज्ञा लेकर पट खोले दिए जाते हैं, जो अगले 6 माह तक खुले रहते हैं.
अष्टमी के दिन मंगला आरती के बाद खुलते हैं द्वार
नवरात्री में श्रद्धालु यहां पर आकर 9 दिनों तक रहते हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां कई तरह की बीमारियों से श्रद्धालुओं को मुक्ति मिलती है. यहां पर कई बार दुर्घटना में घायल व्यक्ति वेंटिलेटर पर आए और अपने पैरों पर चलकर वापस गए हैं. वहीं श्रद्धालु ने कहा कि पूरे भारत में यह ऐसा मंदिर है, जहां नवरात्री में गर्भ गृह के पट बंद रहते हैं. नवरात्री में अष्टमी के दिन मंगला आरती के बाद ही श्रद्धालुओं के लिए पट खोले जाते है. इस मंदिर में गर्भ गृह के अंदर ही जाकर भक्त पूजा-अर्चना करते हैं. इसी के कारण शुद्धि के लिए पट बंद किए जाते हैं.
राजपूतों की कुलदेवी माता घाटा रानी
भीलवाड़ा जिले में जहाजपुर उपखंड के घाटारानी माता का मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जहां 6 माह तक पट खुले रहते हैं. मगर नवरात्रि से पूर्व अमावस्या पर घटस्थापना और भोग लगाने के साथ ही पट बंद कर दिए जाते हैं. इस दौरान श्रद्धालु यहां पर आते तो हैं, मगर मंदिर में गर्भ गृह के बाहर से माता की पूजा-अर्चना करके वापस लौट जाते हैं. 7 दिनों तक गर्भ गृह का पट बंद रहने के बाद अष्टमी पर मंगला आरती के साथ पट खुलते हैं, जिसके बाद ही श्रद्धालु गर्भ गृह में जाकर माता के दर्शन कर पाते हैं.
इसका मुख्य कारण नवरात्र पर अशुद्धि नहीं हो और पवित्रता बनी रहे. यह मंदिर पहाड़ पर बना होने के कारण माता को घाटारानी के नाम से जाना जाता है. मंदिर का निर्माण राजपूत वंशजों ने कराया था और घाटारानी माता तंवर राजपूतों की कुलदेवी हैं. इस कुल के लोग कोई भी शुभ कार्य करने से पहले माता के दर्शन करने पहुंचते हैं.
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