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Bageshwar Temple: बणी गोलू देवता मंदिर में विशेष रूप से तीन वस्तुएं चढ़ाने की परंपरा है. भक्त माता को लाल चुनरी और श्रृंगार का सामान अर्पित करते हैं और गोलू देवता को सफेद धोती भेंट करते हैं.
इस मंदिर में संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है.
बागेश्वर. उत्तराखंड न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए बल्कि अपनी गहरी धार्मिक मान्यताओं के लिए भी देश-विदेश में प्रसिद्ध है. इसी कड़ी में बागेश्वर जिले का मंडलसेरा क्षेत्र एक विशेष धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है. यहां स्थित है बणी गोलू देवता मंदिर. यह मंदिर उन भक्तों के लिए एक विशेष महत्व रखता है, जो संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर यहां आते हैं. साल में दो बार नवरात्रि के समय देवी-देवताओं को हरेला चढ़ाया जाता है, जिसे मंदिर में ही उगाया जाता है. पुजारी संदेश कोहली ने Bharat.one को बताया कि मंदिर में मां कालिका और गोलू देवता की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है. कालिका को माता के रूप में और गोलू देवता को उनके पुत्र के रूप में पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है कि संतान की चाह रखने वाले दंपति यहां आकर सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, तो उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.
उन्होंने कहा कि बणी गोलू देवता मंदिर में विशेष रूप से तीन वस्तुएं चढ़ाने की परंपरा है, जिन्हें श्रद्धा से अर्पित करने पर भक्तों की इच्छा पूरी होने की बात कही जाती है. स्वयं की स्वेच्छा से भक्त माता को लाल चुनरी और श्रृंगार का सामान अर्पित करते हैं, जबकि गोलू देवता को सफेद धोती भेंट करते हैं. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और अब तक कई भक्त इस मंदिर में संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होने के बाद धन्यवाद देने दोबारा लौट चुके हैं. साल में एक बार मंदिर में बैशी का आयोजन किया जाता है, जिसमें मंदिर के चारों कोनों के लोग माता के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं.
भक्तों की उम्मीदों और आस्था का प्रतीक
वह आगे बताते हैं कि बणी गोलू देवता मंदिर की स्थापना लगभग 100 वर्ष पूर्व कोहली समाज के लोगों द्वारा की गई थी. तब से लेकर आज तक मंदिर में आस्था और विश्वास की लौ निरंतर जलती आ रही है. मंदिर में असोज (अश्विन) और चैत्र नवरात्रि के अवसर पर विशेष आयोजन किए जाते हैं. दोनों नवरात्रि में बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं. यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि भक्तों की उम्मीदों और आस्था का प्रतीक भी बन चुका है. उत्तराखंड की इस पवित्र धरती पर स्थित बणी गोलू देवता मंदिर निःसंदेह उन श्रद्धालुओं के लिए आशा की किरण है, जो संतान सुख की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
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