Wednesday, November 5, 2025
25 C
Surat

Bhat ceremony meaning। शादी में मामा को भात का न्योता


Why Bhat Invitation Is Given To Mama: भारत में शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं होती, बल्कि दो परिवारों के रिश्तों का संगम होती है. हर शादी के पीछे कुछ अनोखी रस्में और परंपराएं होती हैं, जिनका मकसद सिर्फ रीति निभाना नहीं, बल्कि परिवार और रिश्तों के बीच प्यार, आदर और जुड़ाव दिखाना भी होता है. ऐसी ही एक प्यारी रस्म है भात की रस्म, जो ज्यादातर उत्तर भारत में निभाई जाती है. इस रस्म में दुल्हन या दूल्हे की मां अपने मायके जाती हैं और अपने भाइयों, यानी मामा को शादी का न्योता देती हैं. इसे ‘भात का न्योता’ कहा जाता है. यह परंपरा सुनने में भले ही छोटी लगे, लेकिन इसके पीछे की भावनाएं बहुत गहरी होती हैं, ये रस्म मां के मायके और ससुराल के बीच एक खूबसूरत रिश्ता जोड़ती है. भात सिर्फ शादी का न्योता नहीं होता, बल्कि इसमें एक बहन अपने भाई से अपनी संतान के जीवन के नए सफर में साथ देने की विनती करती है. यह वही रिश्ता है जो बचपन की यादों, अपनापन और रिश्तों की सच्चाई से जुड़ा होता है.

भात का न्योता क्या होता है?
भात का न्योता एक पारंपरिक आमंत्रण होता है जो शादी से पहले दिया जाता है. इस रस्म के दौरान मम्मी अपने मायके जाकर अपने भाइयों यानी मामा को शादी का न्योता देती हैं.
‘भात’ शब्द का मतलब होता है चावल या अन्न, जो जीवन, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है. इस रस्म के जरिए मामा को शादी में आने और अपनी ओर से उपहार या आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया जाता है.
कई जगहों पर यह रस्म बेहद धूमधाम से निभाई जाती है, जहां बहन अपने भाइयों को चुनरी, मिठाई और शादी का कार्ड देती है, और बदले में मामा अपनी भांजी या भांजे के लिए स्नेह और तोहफे लेकर शादी में शामिल होते हैं.

मामा को ही क्यों दिया जाता है भात का न्योता?
भारतीय संस्कृति में मामा का स्थान हमेशा से खास माना गया है. वह सिर्फ मां का भाई नहीं, बल्कि बच्चों के लिए दूसरे पिता जैसा होता है. पुराने समय में जब आर्थिक हालात उतने मजबूत नहीं होते थे, तो मामा ही अपनी बहन के बच्चों की पहली शादी का खर्च उठाते थे या उन्हें गिफ्ट देते थे.
इसलिए मामा को भात का न्योता देना एक तरह से सम्मान देने का तरीका माना गया, ये रस्म इस बात का प्रतीक है कि मामा अपनी बहन के बच्चों की खुशियों में बराबर का भागीदार हैं.
इसके पीछे भावनात्मक जुड़ाव भी छिपा है – जैसे मां का मायका अपनी बेटी के नए जीवन की शुरुआत में उसके साथ खड़ा है. भात का न्योता इस रिश्ते की गर्माहट और अपनापन दोनों को एक साथ दिखाता है.

Generated image

भात की रस्म कैसे की जाती है?
शादी से कुछ दिन पहले यह रस्म निभाई जाती है. दुल्हन या दूल्हे की मां एक थाल सजाकर अपने मायके जाती हैं. उस थाल में शामिल होते हैं –

-हल्दी, चावल, मिठाई और नारियल
-एक चुनरी या साफा
-शादी का कार्ड और गोला (पैसे का प्रतीक)

थाल लेकर मां अपने भाइयों को शादी का न्योता देती हैं. जब मामा इसे स्वीकार करते हैं, तो वह शादी में शामिल होने का वचन देते हैं और शादी वाले दिन ‘भात’ लेकर अपनी बहन के घर आते हैं.
भात में मामा की ओर से उपहार, मिठाइयां, कपड़े और कई बार नकद राशि भी दी जाती है. यह सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि उनके आशीर्वाद और स्नेह का प्रतीक होता है.

Bhat ceremony meaning
मामा को भात का न्योता

इस परंपरा का असली मतलब
भात का न्योता देना सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि एक भावनात्मक रिश्ता है जो परिवारों को जोड़ता है. इसमें एक बहन अपने भाई से कहती है कि “अब मेरी जिम्मेदारी मेरी संतान की शादी तक पहुंच गई है, इसमें तुम्हारा आशीर्वाद चाहिए.”
यह परंपरा हमें यह भी याद दिलाती है कि रिश्तों की जड़ें सिर्फ खून से नहीं, बल्कि अपनापन और जिम्मेदारी से मजबूत होती हैं. भले ही वक्त के साथ कई रस्में बदल गई हों, लेकिन भात की परंपरा आज भी भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है.

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img