इस साल चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च से है. इस दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि है. सुबह में कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा शुरू होगी. पूरे 9 दिन तक पूजा पाठ करते हैं और व्रत के नियमों का पालन करते हैं. इस बार चैत्र नवरात्रि 8 दिन की है. यदि आपको चैत्र नवरात्रि का व्रत पूरे 8 दिनों तक रखना है तो आपको व्रत के नियमों का पालन करना होगा. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपका व्रत अपूर्ण हो सकता है और वह निष्फल हो जाएगा. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि व्रत के नियम क्या हैं?
चैत्र नवरात्रि व्रत के नियम
1. जो लोग नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखते हैं उनको ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना होता है, चाहे वे दांपत्य जीवन में हों या सिंगल हों.
2. नवरात्रि के व्रत में काम, क्रोध, लोभ आदि दुर्गुणों से पूरी तरह से दूर रहें. दूसरों की निंदा न करें. झूठ, चोरी, जुआ, शराब, मांस, लहसुन, प्याज आदि से भी दूरी बनाकर रखें.
3. मां दुर्गा की पूजा में पवित्रता का ध्यान रखते हैं. अशुद्ध आचरण सर्वथा वर्जित है. पूजा में जिन भी वस्तुओं का उपयोग करें, उसकी शुद्धता का ध्यान रखें.
4. व्रती को दोपहर में सोना नहीं चाहिए. पूरी नवरात्रि में बेड पर सोने की मनाही होती है. जमीन पर सोना चाहिए.
5. आपके घर में चैत्र नवरात्रि के कलश की स्थापना हुई है या परिवार का कोई सदस्य 9 दिनों का व्रत है तो परिवार के सभी सदस्यो को तामसिक वस्तुओं के सेवन से परहेज करना चाहिए. सात्विक भोजन करें. व्रती फलाहार करें.
6. व्रत के समय आप शौच या लघुशंका जाते हैं तो उसके बाद पूजा पाठ के सामान, मां दुर्गा की मूर्ति आदि को नहीं छूना चाहिए.
7. नवरात्रि के अखंड दीपक को पूरी नवरात्रि जलाए रखना चाहिए. व्रती को ही उसमें नियमित तेल डालना चाहिए और उसकी देखरेख करनी चाहिए.
8. कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. चैत्र नवरात्रि में प्रत्येक दिन कन्या पूजा कर सकते हैं. हर दिन संभव नहीं है तो दुर्गा अष्टमी को कन्या पूजा करें.
9. नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि को विधि विधान से हवन और आरती करें. ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देकर विदा करें.
10. दशमी के दिन नवरात्रि व्रत का पारण करें. कलश के पानी को किसी पेड़ की जड़ में डाल दें. खाली कलश में अनाज भरकर अगली नवरात्रि तक रख सकते हैं.