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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने चाणक्यनीति नामक एक पुस्तक की रचना की जिसमें उन्होंने कई मानव जीवन से जुड़े कई अहम मुद्दों पर सूर्त्र दिए हैं. इनमें से उन्होंने विद्यार्थियों से संबंधित भी कई नीतियां बताई हैं.
Chanakya Niti: विद्यार्थी जीवन में जरूर अपनाएं चाणक्य की 4 महत्वपूर्ण शिक्षाएं, सफलता चूमेगी कदम
हाइलाइट्स
- गुरु का सम्मान करें और उनकी आलोचना न करें.
- कड़ी मेहनत और अनुशासन का पालन करें.
- आलस्य और लालच से बचें.
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य प्राचीन भारत के महान अर्थशास्त्री थे. चाणक्य के अनुसार बताई गई नीतियां व्यक्ति को जीवन जीने की सही राह दिखाती है और उनका पालन कर हर व्यक्ति सफलता को प्राप्त कर सकता है. आचार्य चाणक्य ने विश्व को धर्म, राजनीती अर्थशास्त्र आदि का ज्ञान दिया था.
इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने चाणक्यनीति नामक एक पुस्तक की रचना की जिसमें उन्होंने कई मानव जीवन से जुड़े कई अहम मुद्दो पर सूर्त्र दिये हैं. जिनमें से उन्होंने विद्यार्थियों से संबंधित भी कई नीतियां बताई हैं. जिनका पालन कर विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं और भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं. तो आइए जानते हैं विद्यार्थियों को किन बातों का पालन करना चाहिए.
।। न मीमांस्या गुरवः ।।
चाणक्य के अनुसार विद्यार्थियों को कभी भी अपने गुरु की आलोचना नहीं करनी चाहिए और गुरु का हमेशा सम्मान करना चाहिए. क्योंकि गुरु हमेशा अपने शिष्य का हित चाहते हैं. वे कभी उसका अहित नहीं करते. उनका हर कदम चाहे वो कठोर हो या सरल, केवल शिष्य के हित के लिए होता है. गुरु किसी भी कीमत पर अपने शिष्य का बुरा नहीं सोचते हैं.
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सपनों के लिए मेहनत करने में तत्पर रहें
आचार्य चाणक्य के अनुसार, विद्यार्थियों को सदैव अपने सपनों के लिए कड़ी मेहनत करते रहना चाहिए. कड़ी मेहनत करने के लिए अनुशासन का पालन करना अधिक महत्वपूर्ण है, इसलिए अनुशासन को अपने जीवन का अंग बनाना चाहिए, जिससे की आपके सपने व लक्ष्य पूरे हो सकें.
आलस्य से बचें
विद्यार्थी को आलस्य नमक राक्षस से बचना चाहिए. यह एक ऐसा शत्रु है जो कभी आपको सफल नहीं होने देगा. इसलिए जरूरी है कि आप इससे दूर रहें और अपनी मेहनत और लगन के बल पर सफलता प्राप्त करें.
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लालच से बचें
विद्यार्थी को सदैव लालच से दूर रहना चाहिए. विद्यार्थी जीवन में लालच एक बड़ी परेशानी है. लालच के कारण व्यक्ति अपने जीवन महत्वपूर्ण समय को आसानी से नष्ट कर देता है. इसलिए आचार्य चाणक्य कहते है कि विद्यार्थी को कभी किसी लालच में नहीं पढ़ना चाहिए.







