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chandrakoop temple varanasi history | varanasi mysterious well predicts life and death | चंद्रकूप मंदिर का चमत्कारी कुआं! जिसमें झांककर होती है जीवन और मृत्यु की भविष्यवाणी


Chandrakoop Temple Varanasi: काशी, जिसे भगवान शिव की नगरी कहा जाता है, वहां मंदिरों की कमी नहीं है. जितने मंदिर काशी में भगवान शिव के मिल जाएंगे, उतने ही मंदिर मां पार्वती के अलग-अलग रूपों में मिल जाएंगे. वाराणसी में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है, जहां मात्र कुएं में झांकने से पता चल सकता है कि मृत्यु कब होगी? दूर-दूर से भक्त इस कुएं में अपनी परछाई देखने के लिए आते हैं.

100 साल पुराना है वाराणसी का चंद्रकूप मंदिर

वाराणसी में प्राचीन मां सिद्धेश्वरी का मंदिर मौजूद है, जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं. मंदिर को चंद्रकूप मंदिर और चंदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. ये मंदिर विश्वनाथ गली के पास, सिद्धेश्वरी मोहल्ले में स्थित है. मंदिर को 100 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है.

स्वयं प्रकट हुई थीं मां सिद्धिदात्री

ये मंदिर मां दुर्गा के नौवें रूप, मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. माना जाता है कि मंदिर में विराजमान मां सिद्धियों की देवी हैं और उनकी प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी. मंदिर के गर्भगृह में मां के साथ चांदी के शिवलिंग के रूप में भगवान सिद्धेश्वर महादेव विराजमान हैं.

मंदिर में प्रवेश द्वार पर भगवान विष्णु और छोटे से परिसर में भगवान शिव का शिवलिंग भी विराजमान है. मंदिर बहुत प्राचीन है, जिसमें देखरेख के साथ बदलाव किए जा रहे हैं. इसी मंदिर के परिसर में चंद्रकूप है, जो बाकी कुओं से अलग है.

चंद्रकूप से ऐसे होती है भविष्यवाणी

माना जाता है कि मंदिर में सभी भक्तों को कुएं में झांक कर अपने प्रतिबिंब को देखना चाहिए. अगर कुएं में खुद का प्रतिबिंब दिखता है, तो ये संकेत है कि उम्र दीर्घायु होगी, लेकिन अगर प्रतिबिंब नहीं दिखता, तो ये माना जाता है कि आने वाले 6 महीनों में मृत्यु की आशंका है.

मृत्यु भय खत्म करने का उपाय

भक्तों का ये भी मानना है कि प्रतिबिंब न दिखने पर रोजाना कुएं के पास आकर भगवान का नाम जप कर अपने प्रतिबिंब को देखना चाहिए, इससे मृत्यु का भय कम होता है. भगवान चंदेश्वर भगवान शिव का ही रूप हैं, जो गर्भगृह में सिद्धेश्वरी के साथ विराजमान हैं.

चंद्र देव ने किया था कुएं का निर्माण

कुएं को लेकर किंवदंतियां भी मौजूद हैं. कहा जाता है कि कुएं का निर्माण खुद चंद्र देवता ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था. उन्होंने भगवान शिव से कुएं को गुण प्रदान करने की प्रार्थना की थी.

सोमवार, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भक्त मंदिर में आकर इसी जल से भगवान चंदेश्वर की पूजा करते हैं और सभी दुखों और बीमारियों से मुक्ति पाने की प्रार्थना करते हैं.

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