गया. छठ पूजा एक महत्वपूर्ण और दिव्य त्योहार है, जिसे खास रूप से सूर्य देवता और छठी माई की पूजा के लिए मनाया जाता है, इस पूजा का आयोजन चार दिन तक होता है और इसमें खास रूप से महिलाएं व्रत रखती हैं. छठ पूजा में गहरी श्रद्धा के साथ-साथ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. महिलाएं इस व्रत को सभी नियमों और विधियों के अनुसार पूरा करती हैं. इस पूजा के दौरान व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. छठ पूजा को तपस्या के समान माना जाता है.
उत्तर भारत में छठ पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो बिहार से शुरू होकर झारखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध हो चुका है. यह पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. छठ पूजा के दौरान महिलाएं भगवान सूर्य और छठी माई से अपने परिवार की समृद्धि और संतान की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. पूजा पाठ के दौरान महिलाओं के लिए पूजा के समय कई प्रकार के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है. यह मान्यता है कि पूजा में शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक होती है, तभी छठी मइया प्रसन्न होती हैं.
कौन महिलाएं छठ का व्रत नहीं कर सकती
इस पर गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य ने Bharat.one से बातचीत में बताया कि छठ व्रत को करने के लिए शुद्धता का आचरण करना अत्यंत जरूरी है. वो महिलाएं जो शुद्ध नहीं हैं जैसे सूतक लगना, संतान होने पर वृद्धि लगना और वैसी महिलाएं जो मासिक धर्म अवस्था में रहें वो इस सूर्य षष्ठी व्रत को न करें. जिनका आचरण सही नहीं है, जो झूठ, छल कपट इत्यादि करते हैं वो कदापि छठ व्रत को न करें. जिसमें संस्कार नहीं हैं, जो अपने पूर्वजों का ख्याल नहीं रखते जो अपने माता पिता, सास ससुर की सेवा नहीं करते वो कदापि छठ व्रत को न करें.
राजा आचार्य बताते हैं कि कुंवारी लड़कियों के लिए छठ में व्रत करने की जरुरत नहीं है. परन्तु छठ व्रत एक दोनों दिन (सायंकाल और सूर्योदय) कुंवारी लड़कियां जो अर्घ्य प्रदान की जाती है उस दिन स्वच्छ अवस्था में साफ कपड़े पहनकर भगवान सूर्य को जल या दूध से अर्घ्य दे सकती हैं. सूर्य नारायण की पूजा कर सकती हैं. व्रत आदि करने का आवश्यकता नहीं है. बता दे कि इस साल 5 नवंबर से छठ महापर्व शुरू हो गया है जो 8 नवंबर को समाप्त होगा.
FIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 15:46 IST