वाराणसी: सूर्य उपासना के महापर्व छठ की तैयारियां जोरों पर हैं. यह महापर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों में मनाया जाता है. 4 दिन के इस कठिन व्रत की शुरुआत नहाय खाए से होती है. इस पर्व में सूर्य की पूजा के साथ छठी मैया की भी पूरे विधि विधान से पूजा होती है. इस बार कब से कब तक छठ का महापर्व मनाया जाएगा. आइये जानते हैं इसके बारे में…
काशी के ज्योतिषाचार्य ने बताया
काशी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के ज्योतिष डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ विनय पांडेय से..उन्होंने बताया कि इस बार छठ के पर्व की शुरुआत 5 नवंबर से हो रही है. पहले दिन नहाय खाए है. इस दिन पूजा और व्रत से पहले तन और मन का शुद्धिकरण किया जाता है. इसके बाद 6 नवंबर को खरना है. खरना में शाम के समय चावल और गुड़ का खीर खाकर इस कठिन व्रत की शुरुआत होती है.
7 नवंबर को डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य
इसके बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष के छठी तिथि यानी 7 नवंबर को पूरे दिन व्रत के बाद इस दिन शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके अलगे दिन सप्तमी तिथि 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन होता है. बता दें कि अर्घ्य के दौरान व्रती महिलाओं को कुछ खास नियमों का पालन करना होता है.
छठी मैया पूरी करती हैं मनोकामना
डॉ विनय पांडेय ने बताया कि इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख शांति समृद्धि के साथ आरोग्यता की प्राप्ति होती है. इसके अलावा संतान के उन्नति और सलामती के लिए भी महिलाएं इस कठिन व्रत को रखती हैं. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यही वजह है कि महिलाएं इस व्रत को रखती हैं.
FIRST PUBLISHED : November 4, 2024, 14:52 IST