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Chhath Puja Kharna Prasad Recipe: छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय होता है. अगले दिन खरना पड़ता है यानी इस बार 26 अक्टूबर को खरना है और इस दिन स्पेशल प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है. यह प्रसाद है गुड़ वाली खीर. इसके बिना खरना अधूरी मानी जाती है. जानें, खरना का क्या है महत्व, कैसे बनता है ये प्रसाद आदि.
Chhath Puja 2025 Kharna Prasad: महापर्व छठ की शुरुआत आज यानी 25 अक्टूबर से हो गई है. चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व का समापन 29 अक्टूबर को उगते सूर्य देवता को अर्घ्य देकर होगा. प्रथम दिन नाहय-खाय और कल यानी 26 अक्टूबर को छठ पर्व के दूसरे दिन खरना होगा. खरना का भी विशेष महत्व है. छठ में सूरज देवता के साथ ही छठी मैया की भी पूजा की जाती है. मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, नेपाल, उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोग इसे मनाते हैं. खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. खरना पर खास प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसका विशेष महत्व है. इसी प्रसाद को व्रती इस दिन खाते हैं.
खरना कल यानी 26 अक्टूबर को है. इस दिन गुड़ वाली खीर और रोटी बनती है. यह खीर मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर तैयार किया जाता है. वह भी आम की लकड़ी जलाकर बनाने की प्रथा है. दूसरी लकड़ी का इस्तेमाल इसमें वर्जित माना गया है. व्रती पूजा के बाद प्रसाद के तौर पर इसका ही सेवन करते हैं.
खरना प्रसाद का महत्व क्या है?
खरना वाले दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं. शाम के समय जब मिट्टी का चूल्हा बना जाता है, तो उस पर गुड़ की खीर, रोटी बनाई जाती है. आप इसे पीतल या मिर्टी के बर्तन में बना सकते हैं. साथ ही गेहूं की रोटी या फिर पूड़ी बनाई जाती है. शाम में सूर्य देव को पूजा-आराधना करके इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं.
आम की लकड़ी ही क्यों लिया जाता है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आम का पेड़ छठी मइया को प्रिय है. आम की लकड़ी शुद्ध, सात्विक होता है. माना जाता है कि आम की लकड़ी पर पके भोजन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. साथ ही इसका धुआं वातावरण को शुद्ध करता है.
खरना का क्या है महत्व?
खरना छठ पर्व के दूसरे दिन पड़ता है और यहीं से 36 घंटे वाला निर्जला व्रत शुरू होता है. खीर और रोटी खाने के बाद व्रती अन्न और जल ग्रहण नहीं करते हैं. खरना के दिन बनने वाली गुड़ की खीर खाने से छठी मइया का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह सेहत, सुख-समृद्धि, संतान सुख भी देता है. व्रती जब सूर्य देव को अर्घ्य दे देते हैं तो इस प्रसाद का सेवन किया जाता है. उसके बाद ही घर के अन्य सदस्य भी इसे खाते हैं. यहां से शुरू होता है व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत. 27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य और 28 को उगते सूरज को अर्घ्य देकर पूजा का पारण होता है.
खरना प्रसाद गुड़ की खीर बनाने की विधि
इसके लिए मिट्टी या पीतल के बर्तन में दूध डालकर उबालें. इसमें चावल को तीन-चार बार साफ पानी से धोकर डालें. जब चावल पक जाए तो उसमें गुड़ डालकर पकाएं. आंच को मीडियम ही रखें. आप इसमें थोड़ी सी शुद्ध घी भी मिला सकते हैं. अपना पसंदीदा ड्राई फ्रूट्स, इलाचयी पाउडर भी डाल दें.
अंशुमाला हिंदी पत्रकारिता में डिप्लोमा होल्डर हैं. इन्होंने YMCA दिल्ली से हिंदी जर्नलिज्म की पढ़ाई की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों से काम कर रही हैं. न्यूज 18 हिंदी में फरवरी 2022 से लाइफस्टाइ…और पढ़ें
अंशुमाला हिंदी पत्रकारिता में डिप्लोमा होल्डर हैं. इन्होंने YMCA दिल्ली से हिंदी जर्नलिज्म की पढ़ाई की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों से काम कर रही हैं. न्यूज 18 हिंदी में फरवरी 2022 से लाइफस्टाइ… और पढ़ें







