Chhath Puja 2025 Bhog List: छठ पूजा पूर्वांचल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. इस दौरान लोग पूरी श्रद्धा और भक्ति से छठी मैया की पूजा-अर्चना करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर 2025 दिन शनिवार के दिन से हो जाएगी. लगातार 4 दिन चलने वाले इस पर्व में प्रसाद का विशेष महत्व होता है. छठ पूजा के दौरान व्रती खास तरह के व्यंजन तैयार करते हैं जिनका छठी मैया और सूर्य देव को भोग लगाया जाता है. इस भोग को बनाते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना जाता है. इसके तहत ही प्रसाद के लिए एक अलग चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है. अब सवाल है कि आखिर छठ के भोज यानी प्रसाद क्या-क्या हैं? छठ पूजा के समय क्या-क्या प्रसाद बनता है? आइए जानते हैं इस बारे में-
ठेकुआ: छठ महापर्व पर ठेकुआ प्रसाद बनाने की परंपरा है. इसे खजूरिया या थिकारी भी कहते हैं. ठेकुए को गुड़ और आटे से तैयार किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि ठेकुआ को पूजा थाली में शामिल करने से जातक का जीवन खुशहाल होता है और पूजा सफल होती है.
डाब नींबू: छठ पूजा में डाब नींबू भी प्रसाद के रूप में शामिल किया जाता है. डाब नींबू सामान्य नींबू से बड़ा होता है और इसका स्वाद खट्टा–मीठा होता है. इसका आकार इतना बड़ा होता है, जिस वजह से इसे पशु-पक्षी खा नहीं पाते हैं. इसलिए इसे शुद्धा माना जाता है.

खरना भोग: छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पूजा में दूध, चावल और गुड़ की खीर बनाई जाती है. इनको व्रती के साथ परिवार के सदस्यों में प्रसाद का वितरण किया जाता है.
चावल के लड्डू: अगर आप छठी मैया और सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो चावल के लड्डू भी बना सकते हैं. इस भोग को छठी मैया का प्रिय माना जाता है. ये आसानी से बन जाते हैं.
केला: कहते हैं केला छठी मईया को बहुत पसंद है. साथ ही केला को काफी शुद्ध फल भी माना जाता है. इसलिए छठी मैया को चढ़ाने के लिए कच्चा केला शुभ होता है. पूजा में कच्चे केले को घर लाकर पकाया जाता है जिससे फल झूठा न हो जाए.
गन्ना: छठ पूजा में गन्ने का काफी अहम योगदान होता है. गन्ने से पूजा वाले स्थान को सजाया भी जाता है. मान्यता है छठी मईया को गन्ना बहुत प्रिय है. साथ ही गन्ने पर कोई भी पशु-पक्षी नहीं बैठते इसलिए इसे बेहद शुद्ध माना जाता है.
नारियल: छठ पूजा में नारियल भी जरूर चढ़ाया जाता है. कहते हैं नारियल चढ़ाने से घर में लक्ष्मी आती है.
सुथनी: सुथनी मिट्टी से निकलती है, इसलिए इसे बेहद शुद्ध माना जाता है. सुथनी का इस्तेमाल भी छठ पूजा में होता है. सुथनी खाने में शकरकंदी की तरह होती है.
सिंघाड़ा: सिंघाड़ा सख्त होता है, इसलिए पशु-पक्षी इसे झूठा नहीं कर पाते हैं. साथ ही यह माता लक्ष्मी का प्रिय फल भी होता है. इसकी शुद्धता की वजह से इसका छठ पूजा में अधिक महत्व है.







