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dev diwali pe kaise kare deepdan। दीपदान का शुभ मुहूर्त


Dev Diwali Deepdan Timing: हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली देव दीपावली को गंगा की नगरी वाराणसी में “देवताओं की दीपावली” कहा जाता है. मान्यता है कि इसी दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर उतरकर गंगा में स्नान करते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं. इस वर्ष 2025 में देव दीपावली 5 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी. इस बार का पर्व कई दैविक संयोग लेकर आया है, जिसमें सिद्धि योग, शिववास योग और अश्विनी-भरणी नक्षत्र का अद्भुत मेल शामिल है. यही कारण है कि यह दिन हर दृष्टि से शुभ माना जा रहा है. इस वर्ष देव दीपावली का शुभ मुहूर्त केवल 2 घंटे 35 मिनट का रहेगा, जिसमें आरती और दीपदान का विशेष महत्व रहेगा. जब काशी के घाटों पर लाखों दीप प्रज्वलित होते हैं, तब वह दृश्य केवल प्रकाश का नहीं, बल्कि आस्था और आत्मिक शक्ति का प्रतीक बन जाता है. गंगा की लहरों पर झिलमिलाते दीप इस रात को दिव्यता से भर देते हैं, और यह अनुभव हर श्रद्धालु के लिए जीवनभर यादगार बन जाता है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

सिद्धि योग: हर कार्य में सफलता का वरदान
देव दीपावली के दिन बन रहा सिद्धि योग अत्यंत शुभ माना जा रहा है. यह योग सुबह 11:28 बजे तक प्रभावी रहेगा. ज्योतिष के अनुसार, इस काल में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं. इस योग में भगवान शिव, विष्णु और लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. जो व्यक्ति इस अवधि में दीपदान, जप, ध्यान या दान करते हैं, उनके पुण्य कई गुना बढ़ जाते हैं. यह योग आत्मविश्वास बढ़ाता है और व्यक्ति को मानसिक दृढ़ता देता है. माना जाता है कि इस समय की गई प्रार्थना शीघ्र फल देती है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार करती है.

पूर्णिमा तिथि और अश्विनी-भरणी नक्षत्र का संगम
इस वर्ष देव दीपावली की पूर्णिमा तिथि शाम 6:48 बजे तक रहेगी. यह समय अपने आप में बेहद शुभ होता है क्योंकि इस बार इसके साथ अश्विनी और भरणी नक्षत्रों का संयोग बन रहा है. अश्विनी नक्षत्र स्वास्थ्य और नई शुरुआत का प्रतीक है, जबकि भरणी नक्षत्र धैर्य और सृजन की शक्ति को दर्शाता है. इन दोनों के एक साथ आने से शरीर और मन के बीच संतुलन स्थापित होता है. इस अवधि में स्नान, दान, ध्यान और दीप जलाना अत्यंत लाभकारी माना गया है. ऐसा करने से न केवल मन शांत होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता भी बढ़ती है.

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सूर्यदेव और चंद्रदेव की स्थिति
इस वर्ष सूर्य तुला राशि में और चंद्र मेष राशि में रहेंगे. यह स्थिति संतुलन, साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक मानी जाती है. सूर्य और चंद्र के इस शुभ मेल से व्यक्ति के भीतर नई ऊर्जा का संचार होता है. जब शाम के समय दीपक जलाए जाते हैं, तो वह केवल काशी के घाटों को नहीं, बल्कि भक्तों के हृदयों को भी प्रकाश से भर देते हैं. शिववास योग और सिद्धि योग के प्रभाव से इस वर्ष का दीपदान दोगुना फल देने वाला माना जा रहा है.

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देव दीपावली का महत्व और पूजा विधि
देव दीपावली की शुरुआत गंगा स्नान से होती है. श्रद्धालु इस दिन सूर्योदय से पहले गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं. इसके बाद भगवान शिव, विष्णु, गणेश और मां गंगा की पूजा की जाती है. संध्या के समय घरों, मंदिरों और घाटों पर दीपक जलाए जाते हैं. यह दीप केवल प्रकाश का प्रतीक नहीं होते, बल्कि ईश्वर के प्रति समर्पण और कृतज्ञता का संदेश भी देते हैं. कई लोग इस दिन व्रत रखकर दान करते हैं और जरूरतमंदों की सेवा करते हैं. माना जाता है कि देव दीपावली की रात में किया गया एक दीपदान हजार दीपों के बराबर पुण्य देता है.

इस वर्ष का शुभ मुहूर्त
2025 में देव दीपावली का शुभ मुहूर्त शाम 5:15 बजे से 7:50 बजे तक रहेगा. यही वह समय है जब देवता पृथ्वी पर उपस्थित माने जाते हैं. इस काल में आरती, दीपदान और प्रार्थना करने से दोगुना फल प्राप्त होता है. जो लोग इस अवधि में ध्यान या जप करते हैं, उनके जीवन में सौभाग्य, धन और मानसिक शांति का आगमन होता है.

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