Wednesday, October 8, 2025
27 C
Surat

Diwali 2024 Date: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर…दिवाली किस दिन मनाना है सही? गलत तारीख को न मना लें त्योहार


Diwali 2024 Real Date: इस साल हर कोई दिवाली की तारीख को लेकर कंफ्यूज है. कोई 31 अक्टूबर को दिवाली मना रहा है. तो कोई 1 नवंबर को. पंचांग के हिसाब से दिवाली की तारीख तय होती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में कई पंचांग अलग-अलग ज्योतिषाचार्यों द्वारा प्रकाशित किए गए हैं. लेकिन इन सब में उत्तराखंड का पंचांग अलग है. यह पंचांग उत्तराखंड के कुमाऊं में मुख्य रूप से प्रयोग में लाया जाता है. इसे रामदत्त जोशी की पंचांग के नाम से जाना जाता है.आइए जानते हैं इस पंचांग के हिसाब से दिवाली की तारीख.

दिवाली 2024 की सही डेट
नैनीताल जिले के भवाली निवासी ज्योतिषाचार्य के.सी. सुयाल बताते हैं कि जिस प्रकार भारत और अमेरिका के समय में अंतर है. ठीक उसी प्रकार भारत का इंडियन स्टैंडर्ड टाइम जोन भले ही सभी जगह बराबर है. लेकिन सूर्योदय का समय अलग-अलग है. और पंचांग की गणना सूर्योदय की तिथि से ही की जाती है. जहां एक सेकंड का भी अंतर पड़ता है. यही वजह है कि भारत में अलग-अलग जगह से निकाले गए पंचांग उस जगह को केंद्र मानकर निकाले जाते हैं. जो उस जगह के समय के अनुसार ही गणना करते हैं.

क्या दिवाली 1 नवंबर को है?
पंडित नवीन तिवारी दिवाली की तिथि को स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि इस साल कुमाऊं में दिवाली का त्योहार 1 नवंबर को मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि काशी के अनुसार दिवाली के त्यौहार में रात के समय अमावस्या होना जरूरी है. यानि की अमावस्या 31 अक्टूबर को दिन में 2 बजकर 40 मिनट से लग रही है. जो इस दिन रात में तो रहेगी ही, और लगभग दूसरे दिन इसी समय समाप्त होगी. लेकिन कुमाऊं में चलने वाला रामदत्त पंचांग जैसे ग्रंथों में उदयव्यापिनी तिथि यानि सूर्योदय के साथ ही अमावस्या शुरू होने पर लक्ष्मी पूजन को श्रेष्ठ माना गया है. ऐसे में सूर्योदय से साथ अमावस्या की शुरुआत 1 नवंबर को ही हो रही है. यही वजह है कि कुमाऊं में इस दिन दिवाली मनाई जाएगी.

इसे भी पढ़ें – Diwali 2024 Diya Upay: दिवाली पर जलाएं इस चीज से बने दीपक, खत्म हो जाएंगे गृह क्लेश, बरसेगी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा!

रामदत्त जोशी पंचांग इस वजह से है अलग
नैनीताल के मां नयना देवी मंदिर के पुजारी और ज्योतिषाचार्य नवीन तिवारी बताते हैं कि उत्तराखंड में मुख्य रूप से चार पंचांग चलते हैं. गढ़वाल से वाणीभूषण, रामनगर से ताराप्रसाद, काशीपुर से नक्षत्र और रामदत्त जोशी का पंचांग अल्मोड़ा से. कुमाऊं में मुख्य रूप से रामदत्त जोशी के पंचांग का उपयोग ज्योतिष में किया जाता है. चूंकि पंचांग की गणना सौर वर्ष और चंद्र वर्ष से की जाती है, जिसे त्रि गणित कहा जाता है.

उन्होंने बताया कि जगह के समय के हिसाब से पंचांगों में भी अंतर आता है. कुमाऊं में चलने वाला रामदत्त जोशी का पंचांग में अल्मोड़ा के समय और अल्मोड़ा के अक्षांतर, देशांतर को मानक मानकर गणना की जाती है. वहीं, काशी और अन्य जगहों के पंचांगों में वहां सूर्योदय के समय, अक्षांतर, देशांतर को मानक मानकर गणना की जाती है, जिस वजह से पंचांगों में भिन्नता आती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img