Monday, October 20, 2025
30 C
Surat

Diwali 2025: भगवान राम के वियोग में यहीं भरत ने की थी 14 साल तपस्या, गड्ढा खोदकर बनाया था विश्राम स्थल


Last Updated:

Diwali 2025: आज देशभर में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है और इस रात गणेश-लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. दिवाली के दिन भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद लौटे थे, इसी उपलक्ष्य में दीपक जलाए जाते हैं और मिठाइयां बांटी जाती हैं. लेकिन इन 14 साल में भगवान राम के भाई भरत ने भी कड़ी तपस्या की थी.

ख़बरें फटाफट

भगवान राम के वियोग में यहीं भरत ने की 14 साल तपस्या, यहां बनाया विश्राम स्थल

सोमवार को देशभर में दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है और इस मौके पर अयोध्या की चमक स्वर्ग में बने महल के जैसी होती है, जो दीपों से जगमगा जाती है. अयोध्यावासी हर साल दीपावली पर भगवान राम के स्वागत के लिए दीपों से अयोध्या को सजा देते हैं, लेकिन अयोध्या में एक ऐसी जगह है, जहां भगवान राम के छोटे भाई भरत ने 14 साल की कठोर तपस्या की थी और वहीं से अयोध्या का शासन चलाया था.

भरत ने यहां बनाया था अपना स्थान
त्रेतायुग में मां कैकयी के कहने पर भगवान राम ने भरत को सिंहासन सौंपते हुए वनवास स्वीकार किया था. उस वक्त सभी की आंखों में आंसू थे, लेकिन भरत का मन सबसे ज्यादा व्यथित था. भरत के मन में भी राज्य का राजा बनने का कोई लालच नहीं था और वह अपने भाई को ही अयोध्या पर राज करते देखना चाहते थे. भगवान राम के वनवास जाने के बाद भरत ने अयोध्या से दूर नंदीग्राम में अपना स्थान लिया और 14 साल तक भगवान राम की चरण पादुका को सिंहासन पर रख अयोध्या पर राज किया था.

14 साल कड़ी तपस्या की
नंदीग्राम में बने भरत कुंड में भरत ने वियोग में 14 साल कड़ी तपस्या की थी. अयोध्या के थोड़ा दूर नंदीग्राम में बने भरत कुंड की मान्यता बहुत है. यहां एक सरोवर कुंड है, जहां लोग स्नान करने आते हैं और अपने पितृों का तर्पण भी करते हैं. भरत कुंड में 27 तीर्थों का जल है, जिसकी वजह से इसकी मान्यता बहुत ज्यादा है. माना जाता है कि भगवान राम के अयोध्या लौटने पर इसी जल से उनका अभिषेक किया गया था. वहां छोटे से बने मंदिर में आज भी भगवान राम की चरण पादुका को एक चिन्ह स्वरूप विराजित किया गया है.

वट वृक्ष की लटाएं कभी जमीन को नहीं छूती
इसके अलावा मंदिर के प्रांगण में एक वट वृक्ष भी है. माना जाता है कि इसी वट वृक्ष के नीचे बैठकर भरत ने 14 साल कड़ी तपस्या की थी और इसी वजह से वट वृक्ष की लटाएं कभी जमीन को नहीं छूती हैं. यहीं बैठकर भरत ने हनुमान जी पर कोई राक्षस समझकर बाण चलाया था और भगवान हनुमान मूर्छित होकर गिर गए थे. मूर्छित पड़े हनुमान जी को वट वृक्ष की लताओं ने उठाया था और जमीन पर रखा था. तब से माना जाता है कि लटाओं ने कभी जमीन को नहीं छुआ है. दीपावली के मौके पर नंदीग्राम में बने भरत के तपस्या स्थल पर पूजा का खास आयोजन होता है. भक्त दूर-दूर से भगवान राम और भरत के निश्छल प्रेम को दर्शाते मंदिर को देखने के लिए आते हैं.

authorimg

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

homedharm

भगवान राम के वियोग में यहीं भरत ने की 14 साल तपस्या, यहां बनाया विश्राम स्थल

Hot this week

Topics

crispy nimki recipe at home। घर पर निमकी बनाने की विधि

Nimki Recipe : त्योहारों का मौसम आते ही...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img