Diwali Puja 2024: दिवाली के दिन खास पूजा होती है. पूजा के दौरान अलग-अलग सामग्री का इस्तेमाल होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि दिवाली पूजा के लिए गन्ना भी बहुत जरूरी होता है. उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में दिवाली मनाने की अनोखी परंपरा है. यहां के लोग दिवाली के दिन अपने घरों में गन्ने से लक्ष्मी की सुंदर मूर्ति का निर्माण करते हैं.
बहुत शुभ होता है गन्ना
पुराणों में गन्ने को काफी शुभ और फलदायक माना जाता है. साथ ही गन्ना मां लक्ष्मी को भी प्रिय है. यही वजह है कि उत्तराखंड के नैनीताल में भी लोग अपने घरों में गन्ने से मां लक्ष्मी की सुंदर मूर्ति का निर्माण करते हैं. लक्ष्मी पूजन के दौरान मां लक्ष्मी के साथ उनकी पसंदीदा वस्तुओं की भी पूजा की जाती है. ताकि मां प्रसन्न मां प्रसन्न हों और मनोकामनाओं को पूरा करें.
मां लक्ष्मी का प्रिय है गन्ना
कार्तिक मास की एकादशी के दिन से ही गन्ने की फसल की कटाई की जाती है. इस वजह से भी गन्ने की पहली फसल मां लक्ष्मी को अर्पित की जाती है. मान्यता है कि दिवाली के अवसर में मां लक्ष्मी के साथ ही साथ गन्ने की पूजा करने या फिर गन्ने से लक्ष्मी की प्रतिमा बना कर पूजा करना शुभ माना गया है. मां लक्ष्मी का वाहन गजराज है. और गजराज को गन्ना बेहद पसंद है. मां लक्ष्मी दिवाली के दिन गजराज में सवार होकर आती है और लोगों के घरों का विचरण करती है. गजराज के माध्यम से भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है.
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नींबू और गन्ने से बनाई जाती है मूर्ति
उत्तराखंड के नैनीताल निवासी प्रोफेसर ललित तिवारी बताते हैं कि कुमाऊं में गन्ने के तीन भागों को कांसे की थाली में चावल के ऊपर लगाया जाता है. गन्ने के ऊपरी भाग को गन्ने की पत्तियों से बांध कर उसमें पहाड़ी नींबू को लगाया जाता है ताकि मां का मुख बनाया जा सके. उसके ऊपर मां के मुख का मुखौटा बांध कर और मां का श्रृंगार कर लक्ष्मी की प्रतिमा को तैयार किया जाता है. कुमाऊं के कुछ इलाकों में नींबू के ऊपर पेंटिंग से मां के मुख को बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि गन्ने के उन तीनों भागों को मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेश के रूप में पूजा जाता है.
FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 13:40 IST
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