Last Updated:
Faridabad News: सनातन धर्म में तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. महंत स्वामी कामेश्वरानंद के अनुसार, तुलसी की मंजरी माता का नाखून मानी जाती है. इसे भूरा होने पर ही तोड़ना शुभ होता है. रविवार और मंगलवार को मंजरी नहीं तोड़नी चाहिए. तोड़ने से पहले तुलसी माता से क्षमा याचना अवश्य करनी चाहिए.

सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है. ज्यादातर घरों में इसकी रोज पूजा होती है और माना जाता है कि जहां तुलसी की नियमित पूजा होती है, वहां लक्ष्मी का वास होता है.

Local18 चैनल से बातचीत में महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य ने बताया कि तुलसी की पत्तियों के साथ-साथ उसकी मंजरी का भी खास महत्व है. इसे तुलसी माता का नाखून कहा जाता है और इसे तोड़ने के कुछ नियम होते हैं.

महंत के अनुसार जब तुलसी के पौधे पर पहली बार मंजरी आती है तो तुरंत नहीं तोड़नी चाहिए. मंजरी आना बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए इसे तभी तोड़ें जब इसका रंग भूरा हो जाए.

तुलसी की मंजरी को कभी भी रविवार या मंगलवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए. इन दिनों इसे तोड़ना अशुभ माना जाता है और इससे घर में सुख-शांति में बाधा आ सकती है.

मंजरी तोड़ने के बाद उसे पैरों के नीचे नहीं पड़ने देना चाहिए. तुलसी माता का अपमान माना जाता है अगर मंजरी जमीन पर गिर जाए या रौंदी जाए.

अगर कोई व्यक्ति जल्दबाजी में मंजरी तोड़ देता है तो यह अशुभ फल दे सकता है. कहा जाता है कि इससे घर में मनमुटाव और परेशानियां बढ़ सकती हैं.

मंजरी तोड़ने से पहले हाथ जोड़कर तुलसी माता का ध्यान करें और उनसे क्षमा याचना करें. ऐसा करने से कोई दोष नहीं लगता और पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

                                    





