Thursday, October 2, 2025
24 C
Surat

Eid ul-Fitr : खुशियों और भाईचारे का त्यौहार है ईद, जकात और फितरा देने के हैं नियम! जानें नियम


Eid ul-Fitr : ईद उल-फ़ित्र या ईद उल-फितर मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के एक महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं. जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है. ये खुशियों का त्यौहार है. इस त्यौहार में लोग पूरे एक माह तक सूर्योदय से सूर्यास्त तक भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं. पांच वक्त नमाज़ अदा करते हैं.

कब मनाते हैं ईद : ये यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है. ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है. इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चांद के दिखने पर शुरू होता है. मुसलमानों का यह त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है. इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं. पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है.

ईद के दिन के लिये खास हैं नियम : ईद के दिन तमाम रोजेदारों और मुस्लिम समाज के लोगों के लिए कुछ खास नियम बनाए गए हैं. देश और दुनिया के हर मुसलमान को इन नियमों का पालन करना चाहिए.

Water Tank Vastu Tips: घर की इस दिशा में रखें पानी का टैंक, समाज में बढ़ेगा मान और सम्मान, जानें वास्तु के 8 नियम

ईद पर नमाज़ : ईद के दिन प्रत्येक मुस्लिम समाज के व्यक्ति को नमाज का एहतराम करना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति को शहर के बाहर दो रकत नमाज अदा करनी चाहिए.

जकात देने का नियम : कुरान में यह जिक्र किया गया है कि प्रत्येक मुस्लिम परिवार को अपनी 1 वर्ष की कुल आमदनी का 2.5 प्रतिशत हिस्सा जरूरतमंदों को जकात के रूप में देना चाहिए. लेकिन जकात देने वाला व्यक्ति साहिबे निसाब होना चाहिए.

कौन होता है साहिबे निसाब : ऐसा परिवार जिनके पास 7 तोले सोना, 52 तोले चांदी या बैंक में उनके बराबर जमा पूंजी अथवा संपत्ति है. वह साहिबे निसाब कहलाता है.

फितरा दिया जाता है : जो परिवार साहिबे निसाब नहीं हैं वह फितरा देते हैं. फितरा में प्रत्येक परिवार को घर के कुल सदस्यों का पौने दो किलो से ढाई किलो तक अनाज गरीबों में खैरात या सदका के रूप में दे सकते हैं. यह प्रत्येक व्यक्ति को देना ही होता है.

इस बात का रखें विशेष ध्यान : जकात, सदका या फितरा देने के लिये समय निर्धारित है. इस सब को चांद देखने से ईद की नमाज अदा करने तक किसी भी समय दिया जा सकता है.

रख सकते हैं नफली रोजे : जिन लोगों में रोजे नहीं रखे हैं वह ईद के बाद किसी भी महीने में नफली रोजे के रूप में रख सकते हैं. हालांकि इन रोजों का महत्व उतना नहीं होता. इसके अलावा रोजा ना रख पाने की विशेष स्थिति में व्यक्ति अपनी एकदिन की पूरी खुराक किसी गरीब या जरूरतमंद को दे सकता है.

Hot this week

गुरुवार रखते हैं व्रत तो जरूर सुनें ये कथा, बृहस्पति देव बनाए रखेंगे आशिर्वाद, हर कष्ट से मिलेगी मुक्ति

https://www.youtube.com/watch?v=sNpWtqPTm1Yधर्म गुरुवार का व्रत रखने और बृहस्पति देव की...

शारदा सिन्हा की मधुर आवाज में सुनें छठ पूजा गीत, माहौल हो जाएगा भक्तिमय – Bharat.one हिंदी

https://www.youtube.com/watch?v=XE3Xw21GFPIधर्म chhath Puja Geet: इस साल छठ महापर्व की...

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img