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Varuthini Ekadashi: इस बार की एकादशी विशेष है, इस मौके पर इन चीजों का दान करना शुभ बताया गया है. इस बारे में एक्सपर्ट की क्या राय है और किन वस्तुओं का दान कर सकते हैं, जानते हैं.

वरुथिनी एकादशी पर करें इन चीजों का दान
हाइलाइट्स
- 2025 में वरूथिनी एकादशी 24 अप्रैल को है.
- इस दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग का शुभ संयोग बन रहा है.
- अन्न, फल, तिल, धन और गौदान का दान पुण्यदायी है.
ऋषिकेश: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और वर्ष भर में 24 एकादशियां आती हैं. वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी आध्यात्मिक रूप से अत्यंत शुभ मानी जाती है. वर्ष 2025 में वरूथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल, गुरुवार को रखा जाएगा. इस बार की एकादशी और भी अधिक फलदायक मानी जा रही है क्योंकि इस दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग का शुभ संयोग बन रहा है, जो अत्यंत दुर्लभ और पुण्यदायी माना जाता है. वहीं इस दिन अगर आप इन चीजों का दान करते हैं तो आपको भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होगी.
वरुथिनी एकादशी का महत्व
Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित गृह स्थानम के ज्योतिषी अखिलेश पांडेय ने कहा कि वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. यह व्रत न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग प्रशस्त करता है. इस दिन भक्तजन प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं और दिन भर उपवास रखते हैं.
व्रत रखने वाले व्यक्ति को एक समय फलाहार या निर्जल उपवास करना चाहिए. 2025 की वरूथिनी एकादशी पर ब्रह्म योग और इंद्र योग बन रहा है, जो किसी भी धार्मिक कार्य के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है. ब्रह्म योग से ज्ञान, शांति व मोक्ष की प्राप्ति होती है, वहीं इंद्र योग से भौतिक सुख-संपत्तियों में वृद्धि होती है. इन दोनों योगों के संयोग से वरूथिनी एकादशी का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.
इन चीजों का करें दान
वरूथिनी एकादशी के दिन दान का विशेष महत्व है. शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन किए गए दान का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है. खासतौर पर अन्न, भोजन, फल, तिल से बनी वस्तुएं, धन, और गौदान अत्यंत पुण्यदायी माना गया है. जरूरतमंद और गरीब लोगों को इन चीजों का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. गौदान तो इस दिन सबसे श्रेष्ठ दान माना गया है, क्योंकि यह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाला है.
इसके अलावा इस दिन जप, तप, ध्यान, मंत्रोच्चारण और भगवत कथा श्रवण का भी विशेष महत्व है. विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है. भक्तों को इस दिन क्रोध, झूठ, आलस्य और अहंकार से दूर रहना चाहिए. सात्विक आहार और पवित्र विचारों के साथ यह व्रत करना अत्यंत फलदायक होता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.