Thursday, September 25, 2025
25.8 C
Surat

Ekadashi Vrat Katha: रवि योग में जया एकादशी कल, पूजा के दौरान पढ़ें यह पौराणिक कथा, जानें मुहूर्त और पारण का समय


Last Updated:

Ekadashi Vrat Katha: जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी शनिवार को है. इस व्रत को करने से भूत, प्रेत, पिशाच आदि योनि से मुक्ति मिलती है. विष्णु पूजा के समय आपको जया एकादशी की व्रत कथा सुननी चाहिए. काशी के ज्योतिषाचार्य …और पढ़ें

रवि योग में जया एकादशी कल, पूजा के दौरान पढ़ें यह पौराणिक कथा, जानें मुहूर्त

जया एकादशी व्रत कथा.

हाइलाइट्स

  • जया एकादशी व्रत 8 फरवरी को है.
  • व्रत से भूत, प्रेत, पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है.
  • व्रत का पारण 9 फरवरी को सुबह में होगा.

माघ माह की जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी शनिवार को है. यह व्रत माघ शुक्ल एकादशी को रखते हैं. इस साल जया एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है. इस व्रत को करने से भूत, प्रेत, पिशाच आदि योनि से मुक्ति मिलती है. इसमें भगवान विष्णु की पूजा करके पूरे दिन उपवास करते हैं. फिर अगले दिन स्नान, दान के बाद पारण होता है. विष्णु पूजा के समय आपको जया एकादशी की व्रत कथा सुननी चाहिए. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं जया एकादशी व्रत कथा के बारे में.

जया एकादशी व्रत कथा
पद्म पुराण में जया एकादशी की व्रत कथा का वर्णन है. एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से माघ शुक्ल एकादशी की महत्ता के बारे में बताने का निवेदन किया. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि इसे जया एकादशी के नाम से जानते हैं, जो जीवों को भूत, प्रेत, पिशाच आदि योनि से मुक्ति दिलाती है. विष्णु कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसकी कथा कुछ इस प्रकार से है-

स्वर्ग में देवराज इंद्र सभी देवी और देवताओं के साथ सुखपूर्वक रह रहे थे. एक दिन वे अप्सराओं के साथ सुंदरवन में घूमने गए. उनके साथ गंधर्व भी गए थे, जिसमें गंधर्व माल्यवान और अप्सरा पुष्पवती भी थे. पुष्पवती माल्यवान को देखकर मोहित हो गई, माल्यवान भी पुष्पवती की सुंरता पर मंत्रमुग्ध हो गया. वे दोनों देवराज इंद्र को खुश करने के लिए नृत्य और गायन कर रहे थे. लेकिन इस दौरान वे एक दूसरे के प्रति प्रेम के आकर्षण बंधे थे, जिसका आभास देवराज इंद्र को हो गया.

देवराज इंद्र को लगा कि ये दोनों उनका अपमान कर रहे हैं. उन्होंने गुस्से में आकर माल्यवान और पुष्पवती को श्राप दे दिया कि तुम दोनों अभी स्वर्ग से नीचे गिर जाओगे. पृथ्वी पर पिशाच योनि में कई प्रकार के कष्ट भोगोगे. श्राप के प्रभाव से माल्यवान और पुष्पवती हिमालय पर पहुंच गए. दोनों को पिशाच योनि मिली और वे अनेकों तरह के कष्ट भोगने लगे. उनका जीवन बड़ा ही कष्टमय था.

माघ शुक्ल एकादशी का दिन आया. उस दिन माल्यवान और पुष्पवती ने उपवास किया, कोई अन्न नहीं खाया. बस फल और फूल खाकर ही दिन बिताए. जैसे ही सूर्यास्त हुआ तो वे दोनों एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए. जैसे तैसे रात बितायी. उस समय सर्दी का मौसम था, ठंड के कारण वे दोनों सो नहीं पाए. पूरी रात्रि जागरण में ही बीत गई. अनजाने में ही दोनों से जया एकादशी का व्रत हो गया. सुबह होते ही उन पर भगवान विष्णु की कृपा हुई और वे दोनों पिशाच योनि से मुक्त हो गए.

श्रीहरि की कृपा से दोनों को पहले से भी सुंदर शरीर मिला और वे स्वर्ग पहुंच गए. माल्यवान और पुष्पवती ने देवराज इंद्र को प्रणाम किया. तब इंद्र दोनों को देखकर आश्चर्य में पड़ गए कि इनको पिशाच योनि से मुक्ति कैसे मिली? उन्होंने दोनों से पिशाच योनि से मुक्ति का उपाय पूछा. तब माल्यवान ने बताया कि यह सब जया एकादशी का प्रभाव है. श्री हरि विष्णु की कृपा से दोनों को पिशाच योनि से मुक्ति मिली है.

जो व्यक्ति जया एकादशी का व्रत विधि विधान से रखता है, उसे भी माल्यवान और पुष्पवती के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. जीवन के अंत में उसे पिशाच, भूत या प्रेत योनि की प्राप्ति नहीं होती है.

जया एकादशी 2025 मुहूर्त और पारण
माघ शुक्ल एकादशी तिथि की शुरूआत: 7 फरवरी, रात 9 बजकर 26 मिनट से
माघ शुक्ल एकादशी तिथि की समाप्ति: 8 फरवरी, रात 8 बजकर 15 मिनट पर
जया एकादशी पूजा समय: सुबह में 07 बजकर 05 मिनट से
जया एकादशी व्रत का पारण समय: 9 फरवरी, सुबह में 7:04 बजे से 9:17 बजे के बीच
रवि योग: 07:05 ए एम से 06:07 पी एम

homedharm

रवि योग में जया एकादशी कल, पूजा के दौरान पढ़ें यह पौराणिक कथा, जानें मुहूर्त

Hot this week

Topics

aaj ka vrishchik rashifal 26 September 2025 scorpio horoscope in hindi

Last Updated:September 26, 2025, 00:06 ISTAaj ka Vrishchik...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img