ओम प्रकाश निरंजन/कोडरमा: देशभर में नवरात्र की धूम है. पूजा समितियों के द्वारा पूजा पंडाल को आकर्षक अंतिम रूप दिया जा रहा है. नवरात्र में प्रत्येक दिन माता के अलग-अलग स्वरूपों कि लोग आराधना कर रहे हैं. माता दुर्गा की प्रतिमा का दर्शन करने के लिए आपको षष्ठी या सप्तमी तक का इंतजार करना पड़ सकता है. अधिकांश स्थानों पर नवरात्र के षष्ठी या सप्तमी तिथि को माता दुर्गा की प्रतिमा का पट खुलता है. जिसके बाद श्रद्धालु माता दुर्गा की प्रतिमा का दर्शन कर पाते हैं.
कोडरमा के गुमो में आयोजित दुर्गा पूजा जिलेभर में आयोजित होने वाले दुर्गा पूजा से कई मायनों में अलग पहचान रखती है. गुमो दुर्गा मंडप के पुरोहित दशरथ पांडेय ने Bharat.one से कहा कि यहां करीब 400 वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. तत्कालीन राजा मदन शाही और रतन शाही के द्वारा माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत की गई थी. कई वर्षों तक राजा परिवार ने इसका निर्वाह किया. इसके बाद जब देश से राजतंत्र समाप्त हुआ तो राजा राज पाठ छोड़कर गांव से चले गए और पूजा की जिम्मेदारी गांव के ब्राह्मणों को दे दी.
राजा ने करीब 400 वर्ष पहले शुरू की थी पूजा
मंदिर के पुरोहित ने बताया कि यहां नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना पूजा के बाद माता दुर्गा की प्रतिमा का पट खोल दिया जाता है. सैकड़ो वर्ष पुराने इस दुर्गा पूजा में शामिल होने झारखंड के अलावा बिहार और उत्तर प्रदेश से भी काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं. ऐसे में उन्हें दर्शन करने में किसी प्रकार की कठिनाई न हो इसलिए नवरात्र के पहले दिन से ही प्रतिमा का पट खोल दिया जाता है. यहां माता दुर्गा पर लोगों की अपार आस्था है मन्नत पूरी होने पर लोग यहां बकरे की बाली भी देते हैं.
FIRST PUBLISHED : October 5, 2024, 13:10 IST