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Ganga Snan 2025। गंगा में स्नान करने के नियम

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Ganga Snan 2025: गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है. हमारे देश में हर शुभ काम की शुरुआत गंगाजल के बिना अधूरी मानी जाती है. चाहे घर में पूजा हो, नया काम शुरू करना हो या किसी धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन, गंगा जल का इस्तेमाल हर जगह होता है. यही वजह है कि लोग साल भर में किसी न किसी शुभ मौके पर गंगा स्नान जरूर करते हैं. कहा जाता है कि गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप मिट जाते हैं और उसके जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है. यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति, गंगा दशहरा जैसे पर्वों पर लाखों श्रद्धालु गंगा किनारे पहुंचते हैं.
इस साल 2025 में गंगा स्नान का शुभ दिन 5 नवंबर को पड़ रहा है. इस दिन पूरे देश से श्रद्धालु हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी और ऋषिकेश जैसे पवित्र स्थलों पर गंगा में डुबकी लगाने पहुंचेंगे, लेकिन गंगा स्नान सिर्फ आस्था से जुड़ा नहीं है, इसके पीछे कुछ परंपराएं और नियम भी हैं जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है, अगर आप भी इस साल गंगा में स्नान करने की सोच रही हैं, तो इन जरूरी बातों को जरूर जान लें, ताकि आपकी डुबकी पूरी तरह पवित्र और शुभ हो सके. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

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गंगा स्नान से पहले करें गंगा जल का स्पर्श
-गंगा को ‘मां’ का दर्जा दिया गया है. इसलिए गंगा में उतरने से पहले आपको जल को हाथों से स्पर्श करना चाहिए. ऐसा करने से आप गंगा माता से स्नान की अनुमति मांगते हैं. इस समय आप हाथ जोड़कर प्रणाम करें और मन ही मन यह भावना रखें कि आप पवित्र मन से स्नान करने जा रही हैं.
गंगा स्नान से पहले एक मंत्र का जाप करना भी शुभ माना जाता है
“गंगा पापं शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तथा.
पापं तापं च दैन्यं च हन्ति सज्जनसङ्गमः..”
इस मंत्र का अर्थ है कि गंगा माता के सान्निध्य में आने से इंसान के पाप और दुख दोनों दूर हो जाते हैं. इसलिए डुबकी लगाने से पहले इस मंत्र का जाप जरूर करें और श्रद्धा के साथ गंगा में उतरें.

स्नान के समय न करें साबुन या शैंपू का इस्तेमाल
कई बार लोग गंगा स्नान को सामान्य नहाने जैसा मान लेते हैं और साबुन या शैंपू का इस्तेमाल करने लगते हैं, लेकिन ऐसा करना बिल्कुल गलत है. इससे गंगा जल की पवित्रता प्रभावित होती है और यह गंगा माता का अपमान माना जाता है.
अगर आप स्नान के बाद अपने शरीर को साफ करना चाहते हैं, तो इसके लिए गंगा स्नान खत्म होने के बाद किसी धर्मशाला या होटल में जाकर नहाना बेहतर रहेगा. गंगा में किसी भी तरह के केमिकल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें. इससे न केवल धार्मिक दृष्टि से गलती होती है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है.

गंगा में कपड़े धोना न भूल से भी न करें
कई लोग गंगा में डुबकी लगाने के बाद वहीं अपने कपड़े धोने लगते हैं, लेकिन यह परंपरा के खिलाफ माना गया है. ऐसा करना गंगा की पवित्रता को भंग करता है.
ध्यान रखें, गंगा स्नान का मतलब केवल अपने शरीर को साफ करना नहीं, बल्कि अपने मन को भी शुद्ध करना है. इसलिए वहां ऐसी कोई भी हरकत न करें जिससे नदी का जल गंदा हो या आसपास का माहौल बिगड़े, अगर आप किसी को ऐसा करते देखें, तो उन्हें विनम्रता से रोकना चाहिए.

स्नान के दौरान रखें मन शांत और विचार पवित्र
गंगा में उतरते समय मन में कोई नकारात्मक सोच या क्रोध नहीं होना चाहिए. गंगा माता की गोद में सिर्फ वही व्यक्ति सच्चा लाभ पाता है जो श्रद्धा और शांति के साथ स्नान करता है. स्नान के दौरान ‘गंगा माता की जय’ बोलते हुए तीन बार डुबकी लगाना शुभ माना जाता है. इस दौरान मन में भगवान से अपने पापों के शुद्धिकरण की प्रार्थना करें.

गंगा किनारे कचरा न फैलाएं
साफ-सफाई का ध्यान रखना गंगा स्नान का सबसे बड़ा नियम है. वहां पूजा सामग्री, प्लास्टिक या खाने का कचरा नदी में न डालें. जो भी सामग्री ले जाएं, उसे वापस अपने साथ लाएं या निर्धारित स्थान पर डालें. इससे आप गंगा को स्वच्छ रखने में योगदान देंगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस पवित्र नदी को सुरक्षित रख पाएंगे.

स्नान के बाद करें धन्यवाद और दान
गंगा स्नान पूरा होने के बाद गंगा माता को धन्यवाद देना न भूलें. आप जल में फूल या दीया प्रवाहित कर सकते हैं (पर्यावरण-friendly तरीके से), अगर संभव हो, तो गरीबों या ब्राह्मणों को दान देना भी शुभ माना जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से गंगा स्नान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है.

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