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GanGaur Vrat 2025: पहली बार कर रही हैं गणगौर व्रत? जानिए 31 मार्च को पूजा की सही विधि, नियम और महत्व


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Gangaur Vrat 2025 Pooja Vidhi: गणगौर व्रत 2025 चैत्र शुक्ल तृतीया 31 मार्च को रखा जाएगा. पहली बार व्रत करने वालों के लिए जानिए गणगौर पूजा की विधि, नियम और व्रत का महत्व.

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गणगौर

गणगौर पूजा महत्व 

हाइलाइट्स

  • गणगौर व्रत 2025 में 31 मार्च को रखा जाएगा.
  • विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं.
  • पूजा में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है.

शुभम मरमट / उज्जैन: हिंदू संस्कृति में गणगौर व्रत को सौभाग्य, प्रेम और आस्था का प्रतीक माना गया है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है. ‘गण’ का अर्थ है शिव और ‘गौर’ से तात्पर्य है माता पार्वती. इसलिए यह पर्व शिव-पार्वती के दिव्य मिलन और अखंड सौभाग्य की कामना का विशेष अवसर है.

कब है गणगौर व्रत 2025?
गणगौर व्रत 2025 में 31 मार्च को रखा जाएगा. वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल तृतीया की तिथि 31 मार्च को सुबह 9:11 बजे शुरू होकर 1 अप्रैल को सुबह 5:42 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार व्रत 31 मार्च को ही किया जाएगा.

यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं, वहीं कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए इसे करती हैं. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज बताते हैं कि यदि आप पहली बार गणगौर व्रत कर रही हैं, तो कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी है.

गणगौर व्रत की पूजा विधि
व्रत से एक दिन पहले घर की सफाई कर देवी-देवता के स्वागत की तैयारी करनी चाहिए. व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शिव-पार्वती का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें. फिर घर में शिव और गौरी की मूर्ति स्थापित करें, उन्हें नए वस्त्र पहनाएं, सिंदूर लगाएं, फूल अर्पित करें और सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाएं.

गणगौर की पूजा में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है. महिलाएं भी इस दिन पूर्ण श्रृंगार करती हैं और भजन, कीर्तन, मंत्रजाप करती हैं. इससे माता गौरी प्रसन्न होती हैं और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं.

व्रत के दौरान किन बातों से बचना चाहिए?
किसी भी अपशब्द का प्रयोग न करें. किसी भूखे या गरीब को खाली हाथ न लौटाएं. पूजा के दौरान नींद न लें और तामसिक भोजन से परहेज करें. यह दिन पूर्ण संयम और श्रद्धा से बिताएं.

गणगौर सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि स्त्री शक्ति, प्रेम, समर्पण और आत्मबल का प्रतीक है. यदि मन से पूजा की जाए, तो यह व्रत जीवन में सुख-शांति और प्रेम की नई रोशनी जरूर लाता है.

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पहली बार कर रही हैं गणगौर व्रत? जानिए 31 मार्च को पूजा की सही विधि, और महत्व

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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