गाजीपुर: यूपी के गाजीपुर को प्राचीन काल से ही ‘लहुरी काशी’ या ‘छोटी काशी’ कहा जाता है, जो अपने 50 से अधिक घाटों के कारण प्रसिद्ध है. यहां के नवापुर घाट, कलेक्टर घाट, ददरी घाट, पक्का घाट, मसान घाट और महादेव घाट जैसे कई ऐतिहासिक घाट मौजूद हैं.
बनारस के घाटों की तरह हैं मशहूर
वहीं, Bharat.one की टीम ने जब यहां के नाविकों से बात की और घाटों का सफर किया. तब पता चला कि हर घाट का अपना एक इतिहास और महत्व है. ये सभी घाट गंगा के ही किनारे बसे हुए हैं. यहां बनारस के 80 घाटों की तरह ही यहां के घाट भी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक हैं, लेकिन सुविधाओं और विकास की कमी के कारण इसकी अनदेखी हो रही है.
घाटों की स्थिति और विकास की कमी
गाजीपुर के ये घाट न केवल धार्मिक स्थलों के रूप में महत्वपूर्ण हैं. बल्कि स्थानीय और बाहरी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र भी बने हुए हैं. इन घाटों पर कई सौ साल पुराने मंदिर और आश्रम हैं. यहां घाटों पर छठ पूजा के समय लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. गंगा आरती के दौरान यहां श्रद्धालु आते हैं. इसके बावजूद इन घाटों को व्यवस्थित रूप से एक कतार में नहीं सजाया गया है और न ही कोई पर्यटन सुविधा प्रदान की गई है.
यहां के घाटों की हो रही है अनदेखी
नगर पालिका और प्रशासन की अनदेखी के कारण घाटों की हालत बदतर होती जा रही है. स्थानीय नाविक बताते हैं कि नगर पालिका को सरकार की तरफ से फंड बहुत पहले ही मिल चुका है, लेकिन इस पर गौर नहीं किया जा रहा है.
गाजीपुर के आर्थिक विकास के अवसर
यदि गाजीपुर के इन घाटों का सौंदर्यीकरण किया जाए और इन्हें एक आकर्षण का केंद्र बनाया जाए, तो इससे न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. बल्कि गाजीपुर की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी. घाटों का विकास न केवल गाजीपुर के लोगों के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक नई संभावना हो सकती है.
अंग्रेजों के समय का है ‘कलेक्टर घाट’
यहां एशिया की सबसे बड़ी अफीम फैक्ट्री के पास स्थित नवापुर घाट और अंग्रेजों के समय के कलेक्टर के नाम पर स्थित कलेक्टर घाट जैसे स्थल अपनी धरोहर के कारण लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं. घाटों का विकास और सुंदरता बढ़ाने से गाजीपुर भी काशी की तरह विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना सकती है.
FIRST PUBLISHED : November 4, 2024, 12:20 IST