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गुजरात के बनासकांठा में अरावली की पहाड़ियों पर स्थित अंबाजी मंदिर में श्री यंत्र की पूजा आंखों पर पट्टी बांधकर होती है, यहां मूर्ति नहीं है और लाखों श्रद्धालु नवरात्रि में आते हैं.
भारत में अनेक शक्तिपीठ हैं जिनकी अपनी-अपनी मान्यताएं और विशेषताएं हैं. इन्हीं में से एक है गुजरात के बनासकांठा जिले में अरावली की पहाड़ियों पर स्थित अंबाजी मंदिर, जो 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है. यह मंदिर मां अम्बा को समर्पित है और यहां देवी के स्वरूप की पूजा अनोखे तरीके से की जाती है. यहां भक्तों को देवी के स्वरूप को सीधी आंखों से देखने की अनुमति नहीं है. यही कारण है कि अंबाजी मंदिर में श्रद्धालु आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा-अर्चना करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसके पीछे गहरी धार्मिक मान्यता जुड़ी हुई है.
अंबाजी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां देवी का कोई मूर्ति रूप नहीं है. मंदिर के गर्भगृह में सिर्फ एक श्री यंत्र स्थापित है, जिसे त्रिकोणीय आकृति में सजाया गया है. मान्यता है कि यह यंत्र स्वयं सिद्ध है और इसमें देवी की अद्भुत शक्ति निहित है. कहा जाता है कि मां का यह स्वरूप इतना तेजस्वी और दिव्य है कि इसे नग्न आंखों से देखना संभव नहीं. इसी कारण भक्त आंखों पर पट्टी बांधकर या फिर झुककर दर्शन करते हैं. यहां तक कि पुजारी भी सीधे श्री यंत्र के दर्शन नहीं करते, बल्कि पट्टी बांधकर ही पूजा सम्पन्न करते हैं.