शुभम मरमट/उज्जैन: श्राद्ध पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाने वाला हाथी अष्टमी का पर्व इस मंगलवार को विशेष धूमधाम से मनाया जा रहा है. ये पर्व खासतौर पर अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए महिलाओं और युवतियों द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से आयोजित किया जाता है. ये व्रत राधा अष्टमी से प्रारंभ होकर 16 दिनों तक चलता है और इसका समापन हाथी अष्टमी पर होता है.
मंदिर में विशेष आयोजन
नई पेठ स्थित अतिप्राचीन मंदिर में मंगलवार को मां गजलक्ष्मी का दुग्धाभिषेक किया गया, जो सुबह 10 से 12 बजे तक चला. इसके बाद, मां का सोलह शृंगार कर महाआरती का आयोजन किया जाएगा. शाम को 6 से 9 बजे तक भजन संध्या का आयोजन होगा, जहां भक्तों को खीर नैवेद्य प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाएगा.
स्फटिक से बनी दुर्लभ प्रतिमा
पंडित शर्मा के अनुसार, मां गजलक्ष्मी की प्रतिमा दो हजार साल पुरानी है और ये स्फटिक से बनी हुई है. ये प्रतिमा लगभग 5 फीट ऊंची है और एक ही पाषाण से निर्मित है, जिसमें मां गजलक्ष्मी ऐरावत हाथी पर सवार होकर पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं. इसे सम्राट विक्रमादित्य के काल का बताया जाता है. इसके अतिरिक्त, यहां भगवान विष्णु के दशावतार की अद्भुत काले पाषाण पर बनी प्रतिमा भी विद्यमान है.
हाथी अष्टमी का महत्व
हाथी अष्टमी का पर्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, जब अर्जुन ने मां कुंती के लिए स्वर्ग से ऐरावत हाथी को बुलाया था. इस पर्व का उद्देश्य सुख-समृद्धि और स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति है. महिलाएं इस दिन हाथी पर सवार माता लक्ष्मी की प्रतिमा का पूजन करती हैं. साथ ही, मिट्टी के गज हाथी की प्रतिमा को घर में स्थापित कर उसकी पूजा करने की परंपरा है.
विशाल अभिषेक का आयोजन
इस विशेष पर्व पर माता का 2100 लीटर दूध से अभिषेक किया गया. श्रद्धालु आरती परमार के अनुसार, यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और यहां दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आज हाथी अष्टमी के पावन अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ इस मंदिर में उमड़ पड़ी है.
FIRST PUBLISHED : September 24, 2024, 14:34 IST
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