Hartalika Teej Vrat 2024: गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. जो इस बार 5 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे से आरंभ होगी. हालांकि विवाहित महिलाएं 6 सितम्बर को भगवान शिव-पार्वती की पूजा कर व्रत रखेंगी. विवाहित महिलाएं यह व्रत पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं. हरतालिक तीज मुख्य रूप से यूपी, बिहार समेत उत्तर भारत में मनाई जाती है. अविवाहित कन्याएं इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रख सकती हैं. सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार, हरतालिका तीज पर इस बार 2 अद्भुद योग, ब्रह्म योग व रवि योग बन रहे हैं. यह दोनों योग ज्योतिष में महत्वपूर्ण माने जाते हैं जो व्यक्ति के जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डालते हैं. माना जाता है कि महिलाओं को इन योगों में भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी.
ब्रह्म योग व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, और सौभाग्य प्रदान करता है. इसके साथ ही यह जीवन में सफलता, समृद्धि, और मान-सम्मान का सूचक है. जबकि रवि योग व्यक्ति को ऊर्जा, साहस, और नेतृत्व क्षमता प्रदान करता है। रवि योग के समय पूजा करने से जीवन में सफलता, प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त होता है. हरतालिका तीज के दिन शिवजी को बेलपत्र, शमी का पत्ता, पान का पत्ता, केले का पत्ता, बांस, देवदारपत्र, भृंगराज, अशोक का पत्ता, धतुरा और कनेर चढ़ाएं. इस दिन शिव-गौरी के साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है.
हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे से आरंभ होगी. हरतालिका तीज का समापन 6 सितंबर को दोपहर 3:22 बजे होगा. इसलिए हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को किया जाएगा. इस दिन रवि योग 6 सितंबर को सुबह 9:25 बजे से आरंभ होगा. इसके बाद शुक्ल योग प्रातःकाल से लेकर सुबह 10:15 बजे तक है. उसके बाद से ब्रह्म योग होगा. वैसे पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से सुबह 8:30 बजे तक रहेगा.
हरतालिका तीज पर होने वाला ब्रह्म योग व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, और सौभाग्य प्रदान करता है. (Photo- AI)
हरतालिका तीज की आरती | Hartalika Teej Aarti
भगवान शिव की आरती
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।
व्रत रखने वाली महिलाएं इन बातों का ध्यान रखें
. इस दिन व्रती महिलाओं को किसी से अपशब्द कहने से भी बचना चाहिए.
. इस दिन किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए न ही किसी से ईर्ष्या रखनी चाहिए.
. इस दिन व्रत रखने वाली महिला को दूध का सेवन नहीं करना चाहिए. माना जाता है कि व्रत के दौरान दूध पीना दुर्भाग्य को आमंत्रण देता है.
. इस दिन काला और सफ़ेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. काला रंग नकारात्मक शक्ति को दर्शाता है और सफेद रंग के कपड़े वैधव्य जीवन को दर्शाने वाले होते हैं.
FIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 18:22 IST