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Hazaribagh Shamshan Ghat: तंत्र और साधना का गढ़… झारखंड में यहां लगता है दिवाली की रात तांत्रिकों का जमावड़ा


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Hazaribagh Shamshan Ghat: हजारीबाग के खिरगांव श्मशान घाट में दिवाली की रात तांत्रिकों द्वारा साधना और मां काली की पूजा जाती है. यहां साधक सिद्धि की तलाश में आते हैं और आम भक्तों का प्रवेश वर्जित रहता है.

हजारीबाग: कार्तिक अमावस्या की रात को वैसे तो पूरा देश दीपावली की रोशनी में नहाया होता है, लेकिन यही रात तांत्रिकों और साधकों के लिए सिद्धि की रात मानी जाती है. इस रात कई जगहों पर तंत्र साधना की परंपरा निभाई जाती है. हजारीबाग के खिरगांव स्थित श्मशान घाट भी इसी वजह से पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां दीपावली की रात अघोरियों और तांत्रिकों का जमावड़ा लगता है. लोग यहां मां काली से आशीर्वाद लेने आते हैं, तो साधक सिद्धि की तलाश में श्मशान की ओर रुख करते हैं. तभी तो हजारीबाग की श्मशान काली को तंत्र विद्या की देवी कहा जाता है.

यहां श्मशान घाट में होती है काली मां की पूजा

दीपावली के दिन जहां आम लोग मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं. वहीं, श्मशान घाट में मां काली की पूजा होती है. हजारीबाग में हर साल कार्तिक अमावस्या की रात श्मशान काली की पूजा बड़े नियम और श्रद्धा के साथ की जाती है. कहा जाता है कि हजारीबाग की यह काली सिद्धि देने वाली देवी हैं. श्मशान होने के बावजूद यहां हजारों लोग दीपावली की रात पूजा के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में भूतनाथ मंडली के सदस्य विशेष इंतजाम करते हैं. पूरा मंदिर दूधिया रोशनी से जगमगा उठता है.

साधक साधना के लिए आते हैं तांत्रिक

मंदिर का पिछला हिस्सा असल में श्मशान घाट ही है. जहां आज भी तांत्रिक साधक साधना करने के लिए आते हैं. आम लोग उस हिस्से में नहीं जाते हैं. पुजारी बिट्टू बाबा ने कहा कि यह मंदिर तंत्र विद्या के लिए जानी जाती है, जिस कारण से दिवाली की अमावस में तांत्रिक सिद्धि पाने के लिए यहां आते हैं. यहां जो कोई साधक आता है, तो उसे कोई परेशान नहीं करता है. वे चुपचाप आते हैं, साधना करते हैं और लौट जाते हैं. क्योंकि यह सिद्ध स्थल है. इसलिए इसे बहुत पवित्र माना जाता है.

जानें यहां आसन पर कौन है बैठता

वहीं, मंदिर के भूतनाथ मंडली के सदस्य मनोज गुप्ता ने बताया कि महान तांत्रिक इलाइचिया बाबा ने ही यहां पंचामुंडी आसन का निर्माण किया था. इस आसन पर केवल वही लोग बैठ सकते हैं. जो तंत्र विद्या के साधक हों. यह आसन मंदिर के गर्भगृह के अंदर भूमिगत स्थान पर बना है. यह भूमिगत साधना स्थल ही इस मंदिर को बाकी श्मशानों से अलग बनाता है.

दिवाली की रात खुलता है मंदिर का पट

दीपावली की रात इस भूमिगत मंदिर के पट खोले जाते हैं. उस दिन तंत्र साधक और पुजारी ही भीतर प्रवेश कर पूजा करते हैं. आम भक्तों को वहां जाने की अनुमति नहीं होती है. जबकि महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है.

हर साल कार्तिक अमावस्या की यह रात हजारीबाग के लिए बेहद खास होती है. जहां एक ओर दीपों की रोशनी में लोग लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं. वहीं, दूसरी ओर श्मशान में मां काली की आराधना होती है. यही कारण है कि हजारीबाग की श्मशान काली को लोग सिद्धि देने वाली मां कहते हैं

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Brijendra Pratap

बृजेंद्र प्रताप सिंह डिजिटल-टीवी मीडिया में लगभग 4 सालों से सक्रिय हैं. मेट्रो न्यूज 24 टीवी चैनल मुंबई, ईटीवी भारत डेस्क, दैनिक भास्कर डिजिटल डेस्क के अनुभव के साथ संप्रति News.in में सीनियर कंटेंट राइटर हैं. …और पढ़ें

बृजेंद्र प्रताप सिंह डिजिटल-टीवी मीडिया में लगभग 4 सालों से सक्रिय हैं. मेट्रो न्यूज 24 टीवी चैनल मुंबई, ईटीवी भारत डेस्क, दैनिक भास्कर डिजिटल डेस्क के अनुभव के साथ संप्रति News.in में सीनियर कंटेंट राइटर हैं. … और पढ़ें

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तंत्र और साधना का गढ़… यहां श्मशान घाट पर लगता है तांत्रिकों का जमावड़ा

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