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Hindu Rituals: भारत के कई राज्यों में मृत्यु के समय जातक के मुंह में गंगाजल और तुलसी दल डाला जाता है. कुछ राज्यों में इनके साथ सोना भी रखा जाता है. लेकिन क्या आपको जानकारी है कि आखिर ऐसा क्योंकि किया जाता है. इसके पीछे का रहस्य क्या है. तुलसी और गंगाजल, दोनों का संबंध भगवान विष्णु से भी है.
Hindu Death Rituals: हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक कई संस्कार और परंपराओं का पालन किया जाता है. मृत्यु के समय भी ऐसी एक रिवाज का पालन किया जाता है, जिसमें मृतक के मुख में गंगाजल और तुलसी दल डाला जाता है. वहीं कुछ स्थानों पर मुख में सोना भी रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु आत्मा की यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और वह नए जन्म की ओर आगे बढ़ती है. इंसान के जन्म से लेकर मृत्यु तक, केवल यही एक सत्य होता है. इससे इंसान कितना भी बचना चाहे, वह इस स्थिति से नहीं बच सकता. आइए जानते हैं आखिर अंतिम समय में मृतक के मुख में गंगाजल और तुलसी दल क्यों रखा जाता है…
भगवान विष्णु के चरणों से निकली गंगा
शास्त्रों और पुराणों में बताया गया है कि गंगाजल सभी पापों को नष्ट कर देता है और इस जल के छिड़काव मात्र से ही सभी दोष दूर हो जाते हैं. इसलिए अंतिम समय में मृतक के मुंह में गंगाजल डाला जाता है, ताकि जीवन भर के पाप नष्ट हो जाएं. गंगा माता भगवान विष्णु के चरणों से निकली हैं और शिवजी की जटाओं में इनका वास है इसलिए गंगा का जल मोक्ष का मार्ग खोलता है.

यमदूत नहीं देते अधिक कष्ट
बताया जाता है कि मुत्यु के समय मुख में गंगाजल डालने से शरीर से आत्मा निकालते समय यमदूत अधिक कष्ट नहीं देते हैं और आत्मा भी बिना किसी परेशानी के शरीर से बाहर आ जाती है. यही वजह है कि मुत्यु से कुछ समय पहले ही जातक को गंगाजल पिलाया जाता है.

तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय
यह तो हम सभी जानते हैं कि तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय है. भगवान विष्णु को भोग बिना तुलसी के नहीं लगाया जाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के समय तुलसी दल को मुंह में रखने से आत्मा सीधे बैकुंठ धाम पहुंचती है. तुलसी और गंगाजल से यमदूत दूर भागते हैं इसलिए मृतक के मुंह में इन चीजों को डाला जाता है.

बिष्णु दूत आत्मा की करते हैं रक्षा
तुलसी दल और गंगाजल से मुंह में होने से जातक को यमलोक में परेशानी नहीं भोगनी पड़ती है. बिष्णु दूत खुद उस आत्मा की रक्षा करते हैं. जब व्यक्ति अंतिम सांस ले रहा होता है तब तुलसी दल और गंगाजल मुंह में होने से प्राण शांतिपूर्वक निकलते हैं. आत्मा को किसी भी तरह का कष्ट नहीं पहुंचता है, कुछ राज्यों में इसे अंतिम संस्कार का अनिवार्य हिस्सा माना जाता है. गीता में भी भगवान कृष्ण ने कहा है कि अंतिम समय में जो मेरा नाम लेता है, वह मेरे पास आता है. तुलसी दल और गंगाजल, दोनों भगवान विष्णु के हिस्सा माने जाते हैं और उनके होने से विष्णु स्मरण अपने आप हो जाता है.

आत्मा को मिलता है हरि नाम का बल
तुलसी दल और गंगाजल के होने से पितृ समेत किसी भी तरह का दोष नहीं लगता है और इनको डालते समय राधे-कृष्ण या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हैं. इससे आत्मा को हरि नाम का बल मिलता है और बिना किसी परेशानी के आत्मा अपना सफर तय करती है. साथ ही सभी तरह का मोह बंधन दूर हो जाता है और आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाता है.







