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Holi Ki Badkulle Puja: होली पर क्या है बड़कुल्ला पूजा का महत्व? महिलाएं रखती हैं खास व्रत, रोज-रोज के क्लेश से मिलेगी मुक्ति!


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Holi Ki Badkulle Puja: होली पर्व पर मारवाड़ी समाज की महिलाएं बड़कुल्ला पूजा करती हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. जानिए इस पूजा का महत्व.

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पूजा

पूजा करती महिलाएं 

हाइलाइट्स

  • होली पर मारवाड़ी महिलाएं बड़कुल्ला पूजा करती हैं.
  • बड़कुल्ला पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
  • महिलाएं 15 दिन तक व्रत रखकर पूजा करती हैं.

Holi Ki Badkulle Puja: रंगों का त्योहार होली हर किसी के लिए खास है. अमेठी में होली पर्व को लेकर मारवाड़ी समाज की महिलाएं खास परंपरा निभाते हुए विधि विधान से पूजा पाठ करती हैं और समाज की सुख-समृद्धि के लिए कामना करती हैं. मारवाड़ी महिलाएं भी सदियों से एक खास परंपरा निभा रही हैं. इस परंपरा और विधि-विधान वाली पूजा को महिलाओं ने  बड़कुल्ला नाम दिया  है. होलिका दहन स्थल पर होलिका पूजा के साथ ढाल के स्थापित कर 51 बार परिक्रमा कर होली पर्व पर इसकी पूजा की जाती है. दिनभर व्रत रहने के बाद शाम को फिर इसकी पूजा कर महिलाओं द्वारा व्रत तोड़ा जाता है.

बड़कुल्ला पूजा का महत्व
लोकल18 से बात करते हुए प्रेमलता ने बताया कि इस पूजा का महत्व बुराई पर अच्छाई की जीत है. होली के 15 दिन पहले हम सब बल्ले बनाते हैं, जो गोबर से तैयार होते हैं. एकादशी को हम खेल खिलौने बनाते हैं. होली माता की मूर्ति बनाते हैं. होली वाले दिन माला बनाकर हम सब फिर परिक्रमा करते हैं. नए-नए पकवान तैयार करते हैं. दिनभर व्रत रहने के बाद शाम को पूजा पाठ के बाद इस व्रत का परायण करते हैं. इसे हम सबने बड़कुल्ला नाम दिया है. उन्होंने यह भी बताया कि हमारे अंदर जो बुराइयां हैं, वह खत्म हो सकें. इसके लिए मारवाड़ी समाज के लोग इस परंपरा को वर्षों से निभा रहे हैं.

स्थानीय महिला दीप्ति अग्रवाल  ने बताया यह पूजा हम अमावस्या से 15 दिनों तक करते हैं और बेटे की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखने की परंपरा निभाते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार होलिका मां ने प्रहलाद की रक्षा की थी. हम भी मां से अपने बेटे की रक्षा और दीर्घायु की कामना के लिए यह पूजा-पाठ करते हैं. एक और महिला ने बताया हम सब व्रत रखते हैं और 15 दिनों तक यह पूजा-पाठ चलता है.

अलग-अलग है मान्यता
गौरतलब है कि यूपी के अमेठी में कई समाज और समुदायों के लोग रहते हैं, जो अपनी अपनी परंपराओं के हिसाब से होली का त्योहार मनाते हैं. यहां अवध, बृज और उत्तर भारत की होली के रंग भी देखे जाते हैं. जगह-जगह होलिका दहन के बाद फिर  विशेष आयोजन कई जगह किए गए हैं.

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होली पर क्या है बड़कुल्ला पूजा का महत्व? महिलाएं रखती हैं खास व्रत

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