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Brahma Ji Temple Pushkar: त्रिदेव में ब्रह्माजी, विष्णुजी और भोलेनाथ हैं और यही तीनों पूरी सृष्टी का कार्यभार देखते हैं. त्रिदेव में विष्णुजी और शिवजी के पूरे विश्व में कई मंदिर हैं लेकिन ब्रह्माजी का केवल एक ही मंदिर है और यह मंदिर 14वीं शताब्दी का बताया जाता है. आइए जानते हैं पूरी सृष्टि में केवल पुष्कर में ही ब्रह्मा जी का मंदिर क्यों है…
Brahma Ji Mandir Pushkar: ब्रह्मा, विष्णु और महेश, जिनको त्रिदेव कहा जाता है. इन त्रिदेवों को सृष्टि का निर्माता, सृष्टि के पालनकर्ता और सृष्टि के संहारक माना गया है. लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि विष्णुजी और शिवजी के तो देश-विदेश में कई मंदिर हैं और लोग घर में भी उनकी पूजा करते हैं, जबकि ब्रह्मा जी की पूजा लगभग कभी नहीं होती. उनका पूरे विश्व में केवल एक ही मंदिर है, जो पुष्कर में स्थित है. इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप 14वीं शताब्दी में बना था और यहां चतुर्मुखी ब्रह्मा की मूर्ति स्थित है. मंदिर संगमरमर से बना है, जिसमें लाल शिखर मौजूद है. आइए जानते हैं आखिर पूरी सृष्टि में केवल पुष्कर में ही ब्रह्मा जी का मंदिर क्यों है…

यह है पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, इसका कारण देवी सावित्री का दिया हुआ श्राप है. कहा जाता है कि एक बार ब्रह्माजी अपने हाथ में कमल का फूल लिए हुए अपने वाहन हंस पर सवार होकर यज्ञ के लिए जगह तलाश रहे थे. इसी दौरान उनका कमल का फूल हाथ से गिर गया और उस जगह पर तीन झरने बन गए. इन्हें ब्रह्म पुष्कर, विष्णु पुष्कर और शिव पुष्कर के नाम से जाना गया. ब्रह्माजी ने यही यज्ञ करने का निर्णय लिया, लेकिन यज्ञ में उनकी पत्नी का होना जरूरी था.
ब्रह्माजी को दे दिया श्राप
उस समय देवी सावित्री वहां नहीं थीं और शुभ मुहूर्त निकल रहा था, इसलिए ब्रह्माजी ने उसी समय वहां मौजूद एक सुंदर स्त्री से विवाह कर यज्ञ संपन्न कर लिया. जब यह बात देवी सावित्री को पता चली, तो वे बहुत नाराज हुईं और उन्होंने ब्रह्माजी को श्राप दे दिया कि पूरी सृष्टि में उनकी पूजा नहीं की जाएगी.

पुष्कर की पहाड़ियों पर चली गईं देवी सावित्री
यही वजह है कि ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर पुष्कर में है. इसके बाद ब्रह्माजी ने यहीं दस हजार साल तक रहकर सृष्टि की रचना की और पांच दिनों तक यज्ञ किया. यहीं तपस्या के दौरान सावित्री देवी वहां पहुंचीं और उनकी नाराजगी शांत हुई. श्रद्धालु आज भी ब्रह्माजी से दूर से ही प्रार्थना करते हैं. कहा जाता है कि श्राप की वजह से पूरी दुनिया में ब्रह्मा की पूजा नहीं होती. वहीं, देवी सावित्री तपस्या के लिए पुष्कर की पहाड़ियों पर चली गईं और आज भी वहां मंदिर में विराजमान हैं. वे भक्तों का कल्याण करती हैं और उनकी कृपा से ही श्रद्धालु लाभ पाते हैं.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें







