इंदिरा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि आप मुझे अश्विन कृष्ण एकादशी व्रत के महत्व, पूजा विधि और उससे मिलने वाले पुण्य के बारे में बताएं. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि अश्विन कृष्ण एकादशी व्रत को इंदिरा एकादशी के नाम से जानते हैं. इंदिरा एकादशी व्रत सभी पापों को मिटा देता है, जो व्रत रखता है, उसके पितरों का उद्धार करता है. उसे यमलोक की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है. वहीं जो व्यक्ति इंदिरा एकादशी की कथा सुनता है, उसे वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य लाभ होता है. अब आप इंदिरा एकादशी की कथा सुनें-
उसके बाद राजा इंद्रसेन ने नारद जी से आने का प्रयोजन पूछा. तब नारद जी ने बताया कि वे यमलोक में गए थे, वहां पर तुम्हारे पिता से मुलाकात हुई. उन्होंने बताया कि वे एकादशी व्रत रखते थे, लेकिन किसी वजह से उसमें बाधा आ गई. व्रत का क्रम टूट गया. इस वजह से उनको यमलोक में यमराज के पास रहना पड़ रहा है. यदि तुम इंदिरा एकादशी व्रत विधि विधान से रखकर श्रीहरि की पूजा करो, तो उनको यमलोक से मुक्ति मिल सकती है. उनका उद्धार हो जाएगा और उनको स्वर्ग में स्थान मिलेगा.
जब ये कार्य हो जाएं तो फिर भगवान विष्णु के ऋषिकेष स्वरूप की पूजा करें. भगवान ऋषिकेष को अक्षत्, फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन आदि अर्पित करें. दिनभर फलाहार पर रहना. रात के समय में जागरण करना. इंदिरा एकादशी के अगले दिन सुबह में स्नान आदि करके पूजा पाठ करना. फिर दान, दक्षिणा और ब्राह्मण भोज करना. उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा करना.
जो लोग विधि विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत करते हैं, तो उनके पितरों को भी अधोगति से मुक्ति मिल जाती है.
इंदिरा एकादशी मुहूर्त और पारण समय
आश्विन कृष्ण एकादशी तिथि का समापन: 17 सितंबर, रात 11:39 पी एम
ब्रह्म मुहूर्त: 04:33 ए एम से 05:20 ए एम तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: 06:07 ए एम से 09:11 ए एम तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 10:43 ए एम से 12:15 पी एम तक
इंदिरा एकादशी पारण समय: 18 सितंबर, 06:07 ए एम से 08:34 ए एम तक
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)