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Isht Dev in Kundali: कुंडली से जानें कौन हैं आपके इष्ट देव, पूजा-अर्चना से इष्ट को करें मजबूत, होगा कल्याण !


कौन होते हैं इष्ट देव? क्यों इष्ट देव का होना जरूरी होता हैं? साथ ही क्यों इष्ट देव की पूजा करना जरूरी है. आखिर इस बात का पता कैसे लगाएं कि हमारे इष्ट देव कौन हैं. इष्ट देव का पता लगाने के लिए, जन्म कुंडली के पांचवें भाव यानि कुंडली के सबसे ऊपर पहले खाने में जहां लग्न लिखा हुआ होता है, उससे बाईं और पांचवे खाने तक गिनने पर पांचवा भाव होता है. यानि कुंडली के पंचम भाव से इष्ट देव का पता चलता है, आइये जानतें हैं आपकी राशि अनुसार कौन हैं आपके इष्ट देव.

ज्योतिष के मुताबिक, कुंडली से इष्ट देव का पता लगाने के लिए, जन्म कुंडली के पांचवें भाव को देखा जाता है. कुंडली के पांचवें भाव का पता लगाने के लिए, कुंडली के सबसे ऊपर वाले खाने में जहां लग्न लिखा होता है, उससे बाईं ओर पांचवां खाना गिनना होता है.

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राशि अनुसार जानें इष्ट देव :

मेष-वृश्चिक राशि : जिन लोगों की राशि मेष और वृश्चिक होती है उन लोगों की राशि के स्वामी होते हैं मंगल. मंगल ग्रह के स्वामी है हनुमान जी और प्रभु श्री राम जी.

वृषभ-तुला राशि : जिन लोगों की राशि वृषभ और तुला है इन दोनों ही राशि के स्वामी शुक्र ग्रह है. शुक्र ग्रह ही स्वामिनी मां दुर्गा है.

सिंह राशि : जिन लोगों की राशि सिंह हैं उनका स्वामी सूर्य हैं. सिंह राशि के इष्ट देव हनुमान जी और मां गायत्री हैं.

धनु- मीन राशि : जिन लोगों की राशि धनु और मीन है इन राशि के स्वामी हैं गुरु देव बृहस्पति . इन राशिवालों के इष्ट देव विष्णु जी और लक्ष्मी जी हैं.

मकर- कुंभ राशि : जिन लोगों की राशि मकर और कुंभ हैं उन लोगों के लिए स्वामी ग्रह शनि हैं. इन राशिवालों के इष्ट देव हनुमान जी और शिव जी हैं.

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इष्ट देवता का मतलब होता है, किसी व्यक्ति का प्रिय या वांछित देवता. इष्ट देवता को व्यक्ति का मार्गदर्शक और संरक्षक माना जाता है. इष्ट देवता के बारे में ज़रूरी बातेंः 

  1. इष्ट देवता, व्यक्ति के पसंदीदा देवता होते हैं.
  2. इष्ट देवता के प्रति भक्ति करने से व्यक्ति को शांति मिलती है.
  3. इष्ट देवता को पूजने से व्यक्ति को आत्मसंतुष्टि मिलती है.
  4. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, हर राशि का एक इष्ट देवता होता है.
  5. जन्म कुंडली के पांचवें भाव में लिखा अंक, इष्ट देवता का पता बताता है.
  6. शास्त्रों के मुताबिक, हर व्यक्ति को किसी एक देवी या देवता को अपना इष्ट देव मानना चाहिए.
  7. इष्ट देवता को पूजने के लिए, पूजा के समय श्रद्धा को केंद्रित करना चाहिए.
  8. विपत्ति में इष्ट देवता को ही याद करना चाहिए.

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