शिखा श्रेया/ रांची: अक्सर लोगों के मन में यह सवाल होता है कि किस भगवान की पूजा करें, जिससे उन्हें अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके. कई बार लोग बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के दूसरों की देखा-देखी किसी भी देवता की आराधना शुरू कर देते हैं. लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर व्यक्ति को अपनी कुंडली के आधार पर ही अपने ईष्ट देवता का चुनाव करना चाहिए. कुंडली के पंचम और नवम भावों में स्थित ग्रह इस बात का संकेत देते हैं कि कौन सा देवता आपकी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त होगा.
पंचम भाव और ईष्ट देवता का महत्व
ज्योतिष आचार्य संतोष कुमार चौबे, जो रांची यूनिवर्सिटी से ज्योतिष शास्त्र में गोल्ड मेडलिस्ट हैं, बताते हैं कि व्यक्ति को अपने कुंडली के पंचम भाव का विश्लेषण करके ही ईष्ट देवता का चुनाव करना चाहिए. पंचम भाव का सीधा संबंध आपकी भक्ति और पूजा पद्धति से होता है. पंचम भाव के स्वामी ग्रह के आधार पर यह तय होता है कि आपको किस देवता की पूजा करनी चाहिए.
कुंडली के अनुसार देवता का चयन कैसे करें?
मंगल ग्रह मजबूत हो: अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत है, तो आपको हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. मंगल का संबंध साहस और शक्ति से होता है, और हनुमान जी की आराधना से आप इन गुणों को और बढ़ा सकते हैं.
बृहस्पति ग्रह मजबूत हो: अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह प्रधान है, तो आपको भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. बृहस्पति ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है, और विष्णु जी की पूजा से आपके जीवन में स्थिरता और खुशहाली आएगी. पीले वस्त्र पहनकर पूजा करने से बृहस्पति और भी बलवान होता है.
बुध और शुक्र ग्रह मजबूत हो: अगर आपकी कुंडली में बुध और शुक्र ग्रह मजबूत हैं, तो आपको देवी मां की आराधना करनी चाहिए. शुक्र और बुध का संबंध भोग, सौंदर्य और बुद्धिमता से होता है, और देवी मां की पूजा से आपके जीवन में संतुलन और मानसिक शांति बढ़ेगी.
नवम भाव का महत्व और गुरु की भूमिका
नवम भाव को ज्योतिष शास्त्र में गुरु का भाव माना जाता है. अगर आपकी कुंडली में नवम भाव मजबूत है, तो इसका मतलब है कि आप सही दिशा में पूजा करने के लिए सक्षम हैं. गुरु के माध्यम से आपको सही मंत्र और देवी-देवताओं की पूजा का मार्ग मिलता है. यदि नवम भाव में बृहस्पति या सूर्य का प्रभाव है, तो इससे आपकी आध्यात्मिक उन्नति होती है और आप सही पूजा विधि का पालन करते हैं.
ईष्ट देवता का चुनाव करने का सही तरीका
ईष्ट देवता का चयन कुंडली के पंचम और नवम भाव के स्वामी ग्रहों के आधार पर किया जाता है. उदाहरण के तौर पर, अगर पंचम भाव में शुक्र ग्रह है, तो आपको देवी मां की आराधना करनी चाहिए. वहीं, अगर मंगल ग्रह पंचम भाव में प्रभावशाली है, तो आपको हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. इस तरह, सही ग्रहों का विश्लेषण करके आप अपने ईष्ट देवता का चयन कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता पा सकते हैं.
FIRST PUBLISHED : October 16, 2024, 11:51 IST







