अयोध्या. पूरे देश में भव्यता के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. इस दिन लड्डू गोपाल को नवीन वस्त्र धारण कराया जाता है. प्राचीन काल से उन्हें 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. 56 भोग की थाली का सांस्कृतिक महत्व तो है ही, लेकिन यह धार्मिक लिहाज से भी बेहद खास होता है.
बदलते दौर के साथ इस थाली को स्थानीय व्यंजनों के हिसाब से तैयार किया जाता है. जन्माष्टमी पर लोग भगवान श्री कृष्ण को 56 व्यंजनों का भोग लगाएंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन 56 व्यंजन का भोग क्यों लगाया जाता है. तो चलिए आज हम आपको इस खबर के जरिए बताते हैं कि आखिर लड्डू गोपाल को 56 व्यंजनों का भोग क्यों लगाया जाता है.
इस वजह से ब्रज वासियों पर क्रोधित हो गए थे देवराज इंद्र
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं पौराणिक कथा के अनुसार एक बार बृजवासी स्वर्ग के राजा इंद्र को प्रसन्न करने के लिए एक विशेष आयोजन कर रहे थे. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अपने पिता नंद से पूछा कि सब लोग किस तरह का आयोजन कर रहे हैं. तभी नंद बाबा ने कहा कि इस पूजा से देवराज इंद्र प्रसन्न होते हैं और जब देवराज इंद्र प्रसन्न होंगे तो वर्षा होगी. इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि वर्षा कराना तो इंद्र का काम है तो आखिर इसमें पूजा की क्या जरूरत होती है. तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, जिससे लोगों को फल और सब्जियां प्राप्त होती है और जानवर के लिए चारों की व्यवस्था होती है. ऐसे में श्री कृष्ण की यह बात ब्रज वासियों को खूब पसंद आई और वह इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे.
इस तरह हुई थी 56 भोग की शुरूआत
ज्योतिष पंडित कल्कि राम ने बताया कि जब बृजवासी गोवर्धन की पूजा करने लगे तो इंद्रदेव बहुत क्रोधित हुए और ब्रज में भारी वर्षा करने लगे. ऐसी स्थिति में बृजवासी भयभीत होकर नंद बाबा के घर जाते हैं. तभी श्री कृष्ण ने बाएं हाथ की उंगली से पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया. बारिश से सुरक्षा के लिए बृजवासी गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए. पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण ने 7 दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए अपने एक हाथ से गोवर्धन पर्वत को उठाए रहे, जिसके बाद जब वर्षा रुकी. जब भगवान श्री कृष्ण ने 7 दिनों तक नहीं कुछ खाया पिया तो ब्रज वासियों ने 8 व्यंजन तैयार कर भगवान श्री कृष्ण को लाकर खिलाने लगे. बृजवासी अपने-अपने घरों से 7 दिनों के हिसाब से हर दिन के लिए आठ व्यंजन तैयार कर श्री कृष्ण को खिलाकर उनका पेट भरते थे. इसी तरह 56 भोग की भी शुरुआत हुई और तभी से आप मान्यता अस्तित्व में आई की 56 भोग के प्रसाद से भगवान श्री कृष्णा अति प्रसन्न भी होते हैं.
FIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 19:42 IST
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