शाश्वत सिंह/झांसी: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय अपने शिक्षा के लिए तो पूरे क्षेत्र में जाना ही जाता है, लेकिन विश्वविद्यालय के पीछे स्थित पहाड़ी पर बना एक मंदिर भी यहां के लोगों के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र है. इस मंदिर का नाम है कैमासन मंदिर जो कि झांसी की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर की प्रसिद्धि और लोगों की आस्था का आलम कुछ ऐसा है कि लॉकडाउन में जब विश्वविद्यालय बंद था तब भी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दरवाजे खुले थे.
मुगलों से बचने के लिए कैमासन ने की थी आत्महत्या
इस मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक रोचक कहानी है. इतिहासकार बताते हैं कि मुगलों के जमाने में झांसी के एक गांव में दो बहनें रहती थी, जिनका नाम कैमासन और मैमासन था. दोनों बहनें बहुत ही ज्यादा सुंदर थी. जिसके चर्चें बहुत दूर तक मशहूर थे. मुगलों को जब इनके बारे में पता चला तो उन्होंने इन्हें बंधक बनाने का निर्णय लिया. लेकिन खुद की इज्जत और जान बचाने के लिए दोनों बहनें पहाड़ की ओर भागी. जब उन्हें लगा कि अब मुगलों के सिपाहियों से बच पाना मुश्किल है, तो दोनों बहनों ने झांसी की अलग-अलग पहाड़ी से कूद कर अपनी जान दे दी थी.
महोबा के राजा ने बनवाया था मंदिर
सन 1120 में महोबा के राजा परमार चंदेल जब शिकार खेलने आए तो उन्हें इस पहाड़ी और दोनों बहनों की कहानी के बारे में जब लोगों ने बताया तो राजा ने कैमासन की याद में इस मंदिर को बनवाने का निर्णय लिया. यहां माता कामख्या की मूर्ति रखी गई है.असम के अलावा सिर्फ झांसी में ही कामाख्या देवी का मंदिर स्थापित है. मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 176 सीढ़ियां चढ़ कर जाना पड़ता है. मंदिर के पुजारी  बताते हैं कि कई श्रद्धालु तो रोजाना यहां आते हैं. नवरात्रों में तो यहां भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहती हैं.
FIRST PUBLISHED : October 9, 2024, 16:12 IST
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